Monday, August 16, 2010

shi

·स·
मनुष्य ·े जीवन में अने· उतार-चढ़ाव आते हैं और इ हीं सब
·े बीच वह सुख-दुख ·ो साथ-साथ जीते हुए इस संसार से
विदा ले लेता है. हर इंसान ·े पास इ हें जो उसने भोगा है, ·ो
बताने ·े लिए ल बी ·हानी होती है, जिसमें से वह ·ुछ सुख
·े पलों ·ो याद रखता है और अनगिनत दुखद क्ष ाों ·ो जो
संभवत; उस·े जीवन जीने ·ी शैली ·ो बदल देता है, हमेशा
याद रखता है. ऐसे ही ए· स्·ूली छा ाा जो अपने ·ैरियर ·ो
ले·र सपने संजो ·र ·ॉलेज ·ी सीढिय़ॉं चढऩे जा रही है, से
मेरी ·ाउ सलिंग ·े दौरान मुला·ात हो गई.
वह ·ाउ सलिंग ·े समय बहुत चह· रही थी. उसने अच्छे रैं·
प्राप्त ·िये थे. शास·ीय ·ॉलेज ·ी सीटें भर गयी थी, पर जिस
·ॉलेज में पढऩे ·ा रोमांच उसे था, उसी ·ॉलेज में उसे प्रवेश ·े
लिए सहमति मिल गयी. मेरी भतीजी ·ो भी ·ुछ ऐसा ही
रोमांच था, उसे भी उसी ·ॉलेज में दाखिले ·ी अनुमति मिल
गयी. मैं भी खुश थी ·ि ·ॉलेज में दोनों ·ा साथ रहेगा. ए·
दूसरे ·ा मोबाइल न बर लेने-देने ·े बाद ·ॉलेज में मिलने ·ा
वादा ·र दोनों अभी-अभी बनी सहेलियॉं विदा हो गई.
एडमिशन से पूर्व निर्धारित तिथि त· ·ॉलेज ·ी फीस जमा ·र
देनी थी. चूं·ि मैं नौ·रीपेशा हूं इसलिए ·ॉलेज ·ी फीस ·े
विषय में जान·ारी लेने में मुझे असुविधा हो रही थी. दरअसल
·ॉलेज शहर से 20-22 ·िलोमीटर ·ी दूरी पर स्थित है और
उस ·ॉलेज ·ा सिटी ऑफिस बंद मिल रहा था. वहां ·े फोन
·ो इसलिए ·ोई अटे ड नहीं ·र रहा था. उस लड़·ी ·ो ऐसे
में विस्तृत जान·ारी लेने ·े लिए मैंने मोबाइल ·िया.
- हलो - प्रतिमा
- हॉ.. बोल रही हूं.
- मैं.. पहचानी ऊॅं.. एश्वर्या ·ी बुआ बोल रही हूं.
- हॉ ऑटी पहचान गई.
- या हुआ रे- तूने फीस जमा ·र दी या?
- नहीं ऑटी और वह खामोश हो गई.
- हलो..हलो..
- ऑटी मेरे भाई से बात ·र लें.
- या हुआ मनोज, प्रतिमा अचान· खामोश यों हो गई, ·ोई
खास बात..
- हॉ ऑटी लगता है, वो उस ·ॉलेज में नहीं पढ़ पायेगी.
- ऐसा यों?
- इस साल से उस ·ॉलेज ·ी फीस बढ़ गयी है औेर ए· साथ
इतने रुपये देने से चाचाची मना ·र रहे हैं.
- तुम ·ॉलेज जा·र वहां बात ·र लो और दो ·िस्तों में फीस
जमा ·र दो, ·ोई परेशानी नहीं है.
- वो बात नहीं है ऑटी चार साल त· आखिर ऐसे ही इतने और
यदि फिर फीस ·ी र·म बढ़ गई, तो उससे यादा रुपये देने
होंगे.
यह बात सुन ·र मैं खामोश हो गई. मेरे दिमाग में भी उथल-
पुथल मचने लगा. ये छोटे-छोटे ब"ो ·ितनी दूर ·ी बात सोचने
लगे हैं, पर उन·ा ·ैरियर? उन·ी बातों से जाहिर हुआ ·ि वे
अपने चाचा पर निर्भर हैं यदि उ होंने हामी भरी तो ठी· नहीं तो
बीएससी ·े लिए सर·ारी ·ॉलेज में एडमिशन मिल ही जायेगा,
ले·िन या यह उस छोटी सी ब"ाी ·े साथ अ याय नहीं होगा?
मुझे अपनी भतीजी ·ो पढ़ाना ही है. मैंने रुपयों ·ा इंतजाम ·ैसे
·िया, यह अपनी भतीजी पर जाहिर नहीं होने दिया. बस यही
·हा- अच्छे से पढऩा बेटा ये रुपये यूं ही बर्बाद न हो.
ए· रात प्रतिमा ने मेरी भतीजी से लगभग रोते हुए फोन में ·हा-
मैं अब पढ़ नहीं पाऊंगी लगता है. और उसने अपनी बड़ी बहन
·ो फोन थमा दिया. वह भी यादा ·ुछ बोल नहीं पायी.
अपने आसपास प्रतिभावान ब"ाों ·ो इस तरह से आर्थि· तंगी
·े चलते पिछड़ते देखना अंदर त· उद्देलित ·र देता है और यह
भी सोचने बा य ·रता है यदि प्रतिभा ·ी जगह उस·ा भाई
होता, तो या उस·े चाचा ·ा र्नि ाय बदल नहीं गया होता? मुझे
पक्का य·ीन है प्रतिभा ·े चाचा ने अपनी आर्थि· स्थिति ·ा
खुलासा ·रने ·े साथ ये श द भी ·हे होंगे- हमारी स्थिति जैसी
है वैसा ही पढ़ायेंगे. शादी ·े बाद अपने सारे शौ·, इच्छाएं पूरी
·र लेना, पर या पढऩे ·ी वह उम्र और बिता हुआ समय
प्रतिभा ·ो मनचाहा ·ैरियर बनाने देगा? यह तो ए· उदाहर ा
है. न जाने और ·ितने ब"ो इस तरह से चाह ·र भी होशियार
होने ·े बावजूद अच्छी शिक्षा से वंचित रह जाते हैं.
0 शशि परगनिहा

Tuesday, August 10, 2010

shi

है ना बोलो-बोलो या दिल-विल प्यार-व्यार
प्रेम में आ·ंठ डूबे प्रेमी-प्रेमि·ा अपने ही संसार में विचरण ·रने लगते हैं. सदैव अपने प्रेमी-प्रेमि·ा ·े ख्यालों में खोये रहते हैं और लगभग अन्य लोगों, जिन·े साथ उन·ा उठना-बैठना होता था, उन्हें प्र·ृति, और सौंदर्य ·े अलावा ·ुछ भी नहीं दिखता .
प्यार ·रने ·े लिये दिमाग ·ी जरूरत नहीं पड़ती. वो देखो प्यार में पागल व्यक्ति जो हर वक्त अपनी प्रेमि·ा ·ी यादों में खोया रहता है. प्यार ·ी ऐसी दीवानगी हमने तो देखी नहीं, अब तो ये हमारे साथ उठता-बैठता भी नहीं. जब देखो तब अपनी प्रेमि·ा से मिलने, उसे गिफ्ट देने, डेटिंग ·रने में लगा रहता है. ·ुछ ऐसी ही बातें दोस्तों ·े बीच अक्सर सुनने ·ो मिलती है जब उन·े ग्रुप ·े ·िसी ए· ·ो प्यार ·ा बुखार चढ़ जाता है. प्यार में खोये-खोये से रहने वालों ·ो अर्थात इश्· ·ो ·ेमि·ल अट्रैक्शन ·हा जाने लगा है.
प्रेम ·िया नहीं जाता हो जाता है. प्रेम ·रना ·िसी ·ो सीखना नहीं पड़ता, यह संयोग से हो जाता है. प्रेम में आ·ंठ डूबे प्रेमी-प्रेमि·ा अपने ही संसार में विचरण ·रने लगते हैं. सदैव अपने प्रेमी-प्रेमि·ा ·े ख्यालों में खोये रहते हैं और लगभग अन्य लोगों, जिन·े साथ उन·ा उठना-बैठना होता था, उन्हें प्र·ृति, और सौंदर्य ·े अलावा ·ुछ भी नहीं दिखता और ऐसे प्रेमी युगल ·ो आप छेड़ दें तो वे जालीम जमाना प्यार ·ा दुश्मन जैसे तोहमत लगा·र अ·ेले में रोते बिलखते भी देखे गये हैं, क्यों·ि प्रिय ·े सामीप्य ·ी चाह प्रेम ·ी आखरी मंजिल है.
प्रेम आखिर है क्या? ए· वैज्ञानि· ·ी नजर में प्रेम ·े तीन स्तर होते हैं. और प्रत्ये· स्तर पर हार्मोन ·ी भूमि·ा मुख्य होती है क्यों·ि सैक्स हार्मोन टेस्टोस्टेशेन और आस्ट्रोजन ·े स·्रिय होने पर विपरीत सेक्स ·े प्रति आ·र्षण पैदा होता है, जो ·िशोरावस्था से स·्रिय होने लगते हैं. प्रेम ·े दूसरे स्टेज में तीन तरह ·े रसायन (न्यूरोट्रांसमीटर) एट्रेनालीन, डोपामाइन तथा सेरेटोनिन ·ी स·्रियता ·े प्रभाव में आ·र विपरीत सेक्स ·ी ओर झु·ाव होता है. ऐसी अवस्था में तन और मन दोनों में मीठी तरेंगे उठने लगती है. रक्त ·ा प्रसार अचान· बढ़ जाता है जिससे चेहरे में लालिमा छा जाती है. डोपामाइन ·ा प्रभाव ·िसी नशे से ·म नहीं होता. उस पर सेरेटोनिन प्रेम में और भी आगे बढ़ते हुए अच्छे बुरे ·ा विवे· ही समाप्त ·र देता है. इसी स्टेज में पहुंचे प्रेमी युगल ·ो यदि मिलने न दिया जाये, उन पर पहरे लगा दिये जायें, तो वह विद्रोह ·र देता है और ·भी-·भी वे मौत ·ो गले लगाने से भी नहीं हिच·ते.
प्यार ·ी गहराई ·ो ·ैसे मापा जाये इस·े लिये भी शोध ·िया जा चु·ा है. ए· शोध ·े अनुसार (ऑब्सेसिव ·ंपलसिव डिसऑर्डर) ओसीडी नाम· मानसि· रोग से ग्रस्त मरीजों और प्रेमियों ·ी ए· जैसी मानसि· स्थिति होती है. जांच में यह पाया गया ·ि प्रेमियों और ओसीडी ग्रस्त रोगियों में सेरेटोनिन ·ी मात्रा त·रीबन बराबर थी. इसीलिये ·हा जाता है ·ि प्रेम पीपल ·े बीज ·ी तरह होता है. यह ए· बार जड़ प·ड़ ले तो सूखता नहीं है. जीवन ·े आपाधापी में ·ट छंट जाता है, पर निर्मूल नहीं होता.
शोध ·ा निष्·र्ष ·हता है ·ि प्रेम ए·ाग्रता बढ़ाता है. प्रेमियों ·े जीवन शैली में सुधार ला·र उसे नियमित ·रता है. प्रियवर ·ो रिझाने ·े लिये नित-नये प्रयोग ·रने ·ो प्रेरित लगता है. इसलिये वह अपने आप पर ज्यादा ध्यान देने लगता है. हर वक्त अपने ·ो फिट रखने ·े लिये जतन ·रता है. वैसे ·हा जाता है ·ि प्रेम शाश्वत है यह ·ाल और सीमा से परे है.
इन सब·े बावजूद प्रेम आज देह त· सीमित हो जाने ·े ·ारण इस·ा बिगड़ा स्वरूप देखने ·ो मिल रहा है. प्रेम में उग्रता आने लगी है. फिल्मों में दिखाये दृश्यों ·ो प्रेमी स्वयं पर प्रयोग ·र डराने- धम·ाने और उसे अपने पक्ष में ·रने दबाव बनाने लगे हैं. क्या ऐसे प्रेम जिसमें डर और दबाव बना हुआ है, वह ता-उम्र बना रहेगा, ·दापि नहीं, ऐसे प्रेमी वक्त ·ाटने प्रेम ·ा सतही जाल बिछा·र ·िसी ·ी भावनाओं से खेलने से भी नहीं चू·ते. प्रेम खूबसूरत अहसास है जिस·े साथ खिलवाड़ नहीं ·िया जाये तो अच्छा है. वरना उम्र भर पछतावे ·े अलावा ·ुछ भी हासिल नहीं होगा.
- शशि परगनिहा (रायपुर)
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Saturday, August 7, 2010

shi

तेरे चेहरे से नजर नहीं हटती...
टि·ट मिलने से खुश हो दावेदार ·े पति महोदय ने उन सभी ·ो मोबाइल ·र तुरंत अपनी पत्नी ·ा स्वागत ·रने एवं विजयी बनाने अपने घर आमंत्रित ·रना शुरू ·र दिया.
हड़बड़ी में घर ·े प्रमुख द्वार पर रंगोली बना पटा बिछा दिया गया. मारे खुशी ·े दावेदार ज्योत्सना घंटों इंतजार ·े बाद घर पहुंची. आमंत्रित लोगों ·ी भीड़ ने दावेदार ·ो ऐसे घेरा ·ि रंगोली बिखर गई और उस पर रखे पटे पर चमचे जुते सहित खडे हो गये. आपा-धापी में जैस-तैसे आरती ·र उन·ा मुंह मीठा ·रा दिया गया.
दावेदार ज्योत्सना खुशी-खुशी में सभी ·े हाथों से मिठाई ·ा ए· टु·ड़ा खाते-खाते पाव भर मिठाई हजम ·र गई. पिछले ·ुछ महिनों ·ी डायटिंग पर पानी फिर गया, न जाने क्यों गली-गली घुमने ·े बाद भी तन्दुरस्ती अब भी बर·रार है.
आधे पौने घंटे में भीड़ छंटने लगी और बच गये घर ·े सदस्य. अभी सिर्फ टि·ट मिली थी, पर रात भर चुनाव ·े दौरान क्या-क्या जतन ·रें इसी पर चर्चा ·रते-·रते भोर हो गई.
जो ·ल रात में भीड़ ·ा हिस्सा बने थे, जिन्हें मोबाइल ·र विशेष रुप से बुलाया गया था, उसे ज्योत्सना ·े पति ने अपने ही धर में बुला ·र धीरे-धीरे अपने व्यंग्य बाणों से ·ाटना शुरू ·र दिया.
ज्योत्सना सब ·ुछ देख-समझ रही थी, ले·िन चुनाव ·े दौरान ·िसी विवाद में नहीं पडऩा चाह रही थी और उसे य·ीन था ·ि चुनाव जीतने ·े बाद ये सभी न चाहते हुए भी साथ हो लेंगे. वह तो चुनाव खर्च ·े लिये रूपयों ·े जुगाड़ में ·भी नेताओं ·े आगे-पीछे घूम रही थी, तो ·भी व्यापारियों, ठे·ेदारों ·ो फोन ·र रूपये मंगा रही थी.
जैसा ·ि हमेशा होता है, इलटे-छिलटे, छुटभैय्या नेताओं ने चुनाव ·े दौरान पैसे पार ·रने ·े लिये ज्योत्सना ·ी चापलूसी शुरू ·र दी. उसे भी रूपयों ·ी जरूरत थी, मरता क्या न ·रता, उन·ी बातों में आ गई और ·ार्य ·ा विभाजन ·रते हुए इन नेताओं ·ो रूपये इ·_ïा ·रने ·ा ·ाम सौंप दी. अब इन छुटभइये नेताओं ·ी चांदी हो गई. भारी दबाव बना·र रूपये जमा ·िया जाने लगा. जो रूपये नहीं दे रहा था उन·ी इन्होंने मां बहन ए· ·र दी. नेता पार्टी ·े नाम पर लाये लाखों रूपये पर ज्योत्सना ·े सामने रूंआसा चेहरा बना·र ·ुछ रूपये उसे सौंप दिये और बा·ी रूपये अपनी जेब में सही सलामत रख लिए.
ज्योत्सना, उस·े पति, और देवर ·ी बांछे खिल गई. चलो घर से रूपया नहीं लगाना पड़ेगा और जीत हासिल हो जायेगी. देवर जिससे ज्योत्सना ·भी सीधे मुंह बात नहीं ·रती थी, बात-बात पर उसे झिड़·ती-बिगड़ती थी, वही राजा देवर हो गया. उसे चुनाव प्रचार-प्रसार ·े लिये रूपये दे·र खुश ·र दी. इसी राजा देवर ने ज््योत्सना ·े हितौषियों ·ो हटाने अपने भाई ·े साथ मिल ·र ऐसी चाल चली ·ि अपनी इज्जत बनाये रखने ·े लिए वे दूर से चुनावी नजारा देखते रहे.
राजा देवर अचान· लाखों रूपये देख·र चौंधिया गया. उसे लगा अभी जब चुनावी बुखार चढ़ा है, तब रूपयों ·ी बारिश हो रही है, जब चुनाव जीत·र भाभी आयेगी, तो ऐसे लाखों रूपयों ·े ढेर पर अने· सपनों ·ो सा·ार ·िया जा स·ेगा. उसने अपने ए· चम्मच ·ो जो उन·े रिश्तेदार भी हैं, प्रचार में लगने वाले खर्च ·े नाम पर ·ुछ राशि दे·रे अपनी ·ुर्सी पर रजिस्टर और डायरी दे·र बिठा दिया और खुद भाभी ·े इर्द-गिर्द मंडराने लगा.
भाभी ज्योत्सना वैसे भी ·भी ·ुशल गृहणी नहीं रही, अब चमचों से घिर जाने ·े बाद देवर और पति ·े चुनाव मैनेजमेंट ·ो देख फूल ·र ·ुप्पा हो गई. देवर जिससे ·भी उसे परहेज था और उसे ·भी अपने घर में ए· दिन से ऊपर टि·ने नहीं देती थी, उसे छुट-पुट ·ाम दे·र खुश ·र दी. अपने पति जिन·ी महिला मित्रों ·े इर्द-गिर्द मंडराते रहने ·ी आदत हैं, ऐसे मौ·े पर महिलाओं ·ा रेला देख·र मारे जोश में उलटी-सीधी हर·तें ·रने लगे.
ज्योत्सना अपने में मदमस्त हो·र अपने उन ·ार्य·र्ताओं और पति-देवर से घिर गई, जो ·भी उन·े अपने नहीं रहे. वे सभी लोग जो ज्योत्सना ·ो चुनाव में टि·ट दिलवाने से पहले साल भर से मेहनत ·िये थे, उससे दूर हो गये. ज्योत्सना ने उनसे संपर्· साधना छोड़ दिया. वे संपर्· ·रते थे, तो ज्योत्सना अपना मोबाइल अपने चम्मच ·ो प·ड़ा ·र व्यस्त है, अभी बात नहीं हो पायेगी, ·ह·र बात ·रने से बचने लगी. फिर भी दिल से ज्योत्सना से जुड़े लोग अपने-अपने क्षेत्र में उस·ा प्रचार नि:स्वार्थ भाव से ·रने लगे.
अपनों ·ी मेहनत और पिछले विधाय· ·े सुस्त ·ार्य ·े चलते पार्टी ·े प्रमुख नेताओं द्वारा भीतर ही भीतर ज्योत्सना ·ो हराने ·ा प्रयास भी विफल रहा. वह हारते-हारते ·म वोटों से ही सही जीत गई. ज्योत्सना ने जीत ·े बाद यही ·हा- जीत जीत ही होती है चाहे वह ए· वोट से ही क्यों न हो. अपने प्रोफेशन में सामान्य रही ज्योत्सना ·ो उसी प्रोफेशन ·े लोगों ने जो उस·े पलटते ही फुसफुसा ·र हंसने से बाज नहीं आते थे, वे हालां·ि बात-बात में रूपये वसूल ·र चुनाव प्रचार ·ा ·ाम ·िये और वोट मांगने रैली जुलूस नि·ाल ·र विजयी बनाने में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग ·िये.
ज्योत्सना ·ुछ धार्मि· प्रवृत्ति ·ी है और जादू टोने तांत्रि·ों पर विश्वास ·रती है. लगातार 10 वर्षों से वह टि·ट मांग-मांग थ· सी गई थी. ज्योतिषियों ने उसे देर सबेर टि·ट मिलने और विजयश्री प्राप्त ·रने ·ी भविष्यवाणी ·ी थी. वह पिछले 2 वर्षों से देवी पूजा ·र रही थी. ·ुछ प्रमुख मंदिरों में ज्योति भी जलवा रखी थी. जब चुनावी बुखार चढ़ा हुआ था, तब वह अपनी गाड़ी से झंडे बैनर उतरवा ·र अ·ेले ही ड्राइवर ·ो ले·र मंदिर-मंदिर मत्था टे· रही थी. अंदर से घबराई हुई ज्योत्सना जब-तब रात में सोते से जाग जाती थी और अपने निखट्टïू पति ·ी नींद में खलल डाल उसे भी जगा देती थी. पति चूं·ि पत्नी ·े सहारे अपने पैरों में खड़े थे, इसलिये उचटी नींद ·े बावजूद ज्योत्सना ·ो पानी पिला ·र सोने ·ो मजबूर ·र देते थे.
विजयी होते ही ज्योत्सना ·े पति, देवर और ससुराल वालों ·े पैर जमीं पर नहीं पड़ रहे हैं. सासू मां ·ा अचान· बहू पर प्रेम उमड़ आया है. जो पहले ज्योत्सना ·ो घमंडी, लड़ा·ू और सेवा नहीं ·रने वाली बहू ·ह·र ताने मारने से बाज नहीं आती थी, वही चुनाव प्रचार ·े दौरान उसे थाली परोस·र अपने हाथों से खाना खिलाती रही. जो पति ·भी ज्योत्सना ·ो मारपीट ·र रोते बिलखते अपनी महिला मित्र ·े साथ सैर सपाटा ·र दिन गुजार रहा था, वह अब पत्नी ·े पल्लू से बंध·र ए· पल ·े लिये भी अपनी आंखों से उसे ओझल नहीं होने दे रहा है. देवर जिस·ी अपने शहर में ·ोई जान-पहचान नहीं थी, वह अब अपनी भाभी ·ा बॉडीगाड बन ·र सेवा में लग गया है.
गहरी नींद और देर सबेरे सो·र सुबह जागने वाली ज्योत्सना ·ी दिनचर्या में भी परिवर्तन आ गया है. अब वह देर रात ·ो बिस्तर में पहुंचती है और पहट में बिस्तर छोड़ दौरा ·रने नि·ल पड़ती है, पर चटोरी जीभ ठेले में चाट खाने से रो· नहीं पाती. अधि·ारी भी हैरान परेशान हैं. उससे पीछा छुड़ाने ·े बाद गाली देने से बाज नहीं आ रहे-साली ·ितने दिन सुबह-सुबह ठंड में दौड़ाएगी. छड़ यार, ये भूत जल्दी उतर जायेगा. गल न ·र. पद ·े गुमान में है चार दिन बार खुद-ब-खुद धरालत पर आ जायेगी.
आम जन खुश भी है और दुखी भी, खुश इसलिये ·ि जिस इला·े में वह पहुंच रही है. उन·े साथ उन·ी फोटो भी पेपर में छपने लगे हैं और दुखी इसलिये ·ि ज्योत्सना ·े आगे उन·ी फोटो पेपर में छोटी-छोटी छपती है, जिसमें वे ठी· से दिखाई नहीं देते, पर घर से बाहर नि·लते ही ज्योत्सना ·े बड़े-बड़े पोस्टर उन·ा मुंह चिढ़ाते हैं और सोचने मजबूर ·र देते हैं ·ि इन्हें हटाने ·ा वायदा तो वह स्वयं एवं उन·ी पार्टी ·े चुनावी घोषणा-पत्र में लिखा था फिर जहां देखो वहीं उन·ी फोटो क्यों नजरों से हट नहीं रही है.
0 शशि परगनिहा
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Thursday, August 5, 2010

shi

"·" से "·ौवा"
जन ग ा मन अधिनाय·... ये गिरा... हॉ..हॉ...हॉ..., ·विता
अपवि ा हो गई. आसपास ·ी लड़·ियों ·ी नजर पीछे ·ी
तरफ हो..हो...हो..., लाईन से खड़ी पीछे ·ी तरफ ·ी
सभी लड़·ियॉ खुसूर-पसूर में व्यस्त. जय-जय-जय हे.
भारत माता ·ी जय... खीं...खीं...खीं.....
सभी लड़·ियां जिस लाईन में खड़ी थीं, उसी ·्रम से
अपने-अपने लास रुम ·ी ओर नि·ल पड़ी. रुम में
पहुंचते ही ·विता खुद ·ो असहज महसूस ·रने लगी और
पिरेड शुरु होने से पहले रानी ·ो साथ ले·र बाथरुम ·ी
ओर नि·ल पड़ी. सफेद शर्ट और लाइट लू स्·र्ट ·ो
·विता ठंडे पानी ·े छिंटे से पोछने ·ा प्रयास ·रने लगी.
रानी ·ो हंसी आ रही थी, पर या ·रे अपनी सहेली ·ी
पीड़ा ·ो समझते हुए उस दाग ·ो साफ ·रने में लग गई.
दरअसल वह दाग ·विता ·ी पीठ से होते हुए स्·र्ट त·
लगा हुआ था. जैसे-तैसे उसे साफ ·र जब वे लास रुम
में पहुंची, तो लास टीचर अटेंटें स लेने में लगी थी.
-माई ·मीन मैम...
- ·हां थी तुम दोनों?
मैम चंपा ·े पेड़ में बैठे ·ौवा ने जन-ग ा ·े समय बीट
·र दिया. उसे साफ...
- चलो-चलो अंदर आ जाओ.
लंच ब्रे· ·े समय सभी सहेलियां जब अपना-अपना
टिफिन नि·ाल ·र खाने बैठी तो ए· बार फिर ·ौंवे ·ी
तरह सभी ·ांव-·ांव ·रने लगी.
·ौवे ·ा हर दूसरे-तीसरे दिन ·िसी न ·िसी ·े सिर पर
बीट ·रना लगा रहता था.
स्·ूल छूट गया और यह बात धुंधली पड़ गई. संगी-साथी
छूट गये. सब अपनी-अपनी दुनिया में रम गये.
बहुत सालों बाद पितर पक्ष में जब मॉं पितर ·ा भोजन रखी
और उसे ·ौवा नहीं ले गया, तो मॉं दुखी हो गई. ·हा- न
जाने तु हारे पूर्वजों ·ो शांति मिली ·ी नहीं. ·हीं ·मने
·ोई गलती तो नहीं हो गई?
मॉं पूरे दिन अशांत रहीं.
उन·ी बेचैनी देख हम भी दुखी हो गये.
प द्रह दिन ·े पितर पक्ष में सचमुच पूरे शहर में ·हीं ·ौवें
नहीं दिखे.
जब पूरा शहर महानगर में त दील हो रहा हो और ·ल-
·ारखानों ·ा प्रदूष ा खेतों ·ी खड़ी फसल ·ो ·ाला ·र
रहा हो. प्रदूष ा से सड़·ें, गलियॉ, ार, छत सभी में
·ालिख पूत गई हो. बड़े-बड़े शॉपिंग मॉल, बहुमंजिला
इमारतें बन गई हों, लोगों ·ो रहने ·े लिए ार नसीब नहीं
हो रहा हो, पांच हजार से सात हजार वर्गफीट ·ी जमीन में
साठ परिवार छोटे-छोटे लैट में सिमट गये हों, तो ·हां से
·ोई पछी खुले आसमान में स्वछंद विचर ा ·रेगा और ·ैसे
·ौवें ·ांव-·ांव बोलेंगे.
ार ·ा आंगन, जहां ठंड ·े दिनों में मॉं बडी-पापड बनाने
बैठती थी, हम भाई-बहन धूप से·ा ·रते थे या फिर
छुट्टिïयों में रेस टीप खेला ·रते थे. वो तो अब ·हीं देखने
·ो नहीं मिलता. जब हमारा अपना दायरा सिमट ·र
8बाई10 ·े ·मरे और टीवी ·े इर्द-गिर्द मनोरंजन तलाश
रहा हो, तो हम ·ैसे पक्षियों ·ो ठी· से पहचान पायेंगे.
मेरे गांव वाले ार में मॉं ·े रहने पर नौ·र रोज छत पर
धान, चावल, गेहूॅं, चना, मसूर आदि रखते थे और बड़े-बड़े
ाड़ें जिसमें पानी भर ·र रखा जाता था, वो अब गांवों में
भी देखने नहीं मिलता. खेतों में धान ·े प·ने ·े बाद
उस·ो पिरो ·र नौ·र दे जाया ·रते थे, वे भी अब ·ितने
ारों ·ी बाहरी दीवारों पर टंगे मिलते हैं? ार ·े ऑगन में
अब ·ौन चावल ·े दाने इन पक्षियों ·े लिए छोड़ता है?
जब हम स्वयं इन पक्षियों ·े भोजन ·ी व्यवस्था नहीं ·रते
तो वे ईंट गारे ·े दह·ते जंगल में ·ब त· विचर ा ·रेंगे?
यहां न तो हरियाली है, ना ऐसे वृक्ष जिनमें वे अपना बसेरा
बनायें? या हम अपनी आने वाली पीढ़ी ·ो चिडिय़ा ारों
में ही इन खूबसूरत पक्षियों ·े नाम से परिचित ·रायेंगे या
फिर उन तस्वीरों में अंगुली रख ·र ब"ाों ·ो बतायेंगे- ये
तोता है, ये मैना, ये बुलबुल, ये मोर और ये ·ौंवा?
शशि परगनिहा
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फ्रे डशिप-डे पर गु डागर्दी
0 बजरंगियों और धर्म सैनि·ों ने ·िया छ ाीसगढ़ ·ो
शर्मसार
शर्म आती है हमें ·ि हम उस नये रा य ·ी राजधानी में
रहते हैं, जहां संस्·ृति ·े नाम पर ·ुछ बजरंगी और धर्म
सैनि·ों ने फे्र डशिप-डे ·े दिन ऐसी हर·तें ·ी ·ि
मीडिया ·ी बदौलत पूरे देश में इस बेहया हर·त से
छ ाीसगढ़ रा य ·ी थू-थू होने लगी. हर देखने, पढऩे और
सुनने वाले ·े दिलो-दिमाग में अने· प्रश्र उठे और 99.9
प्रतिशत लोगों ने इन धर्म ·े ठे·ेदारों ·ी ·रतूतों ·ो
अस्वी·ार दिया.
ाटना बहुत छोटी है ले·िन इस·े बाद दिलो-दिमाग पर
असर खतरना· है. अधि·ांश लोग दबी जबान से ऐसे धर्म
·े ठे·ेदारों ·ो बेदम मारने त· ·ी बात ·ह रहे हैं यों·ि
जिन लोगों ने रविवार 1 अगस्त ·ो फ्रे डशिप-डे पर सरे
आम युवतियों से छेड़छाड़ और मारपीट ·ी, लड़·े-
लड़·ियों ·े चेहरों पर ·ालिख पोता और दौड़ा-दौड़ा ·र
मारा, लड़·ियोंं ·े बालों में क्वि·-फि स लगाया तथा
लड़·ों ·ा मूंडन ·िया, वह छ ाीसगढ़ ·ी जनता ·े लिए,
रा य सर·ार सहित भारतीय संस्·ृति पर ·ालिख पोतने से
·म नहीं है. उस पर इन·ी उद डता देखिये ·ि सरे आम
इन·े प्रमुख ·र्ताधर्ता ·ह रहे हैं आगे से भी यदि ऐसा ही
पाश्चा य संस्·ृति ·ा अनुसर ा युवा प्रेमी ·रेंगे तो
फ्रे डशिप-डे और वेले टाइन-डे ·ा दिन हम इ हें मनाने
नहीं देंगे यों·ि ये रेस्तरा, बाग-बगीचे, शॉपिंग मॉल ,
सिनेमा हॉल में अश्लील हर·तें ·रते हैं, जो स य समाज
·े लोगों ·े देखने लाय· नहीं होता. प्रश्र उठता है ·ि या
·ोई ऐसे सार्वजनि· स्थलों में अश्लील हर·तें ·र स·ता
है? दो युवा जोड़ी इस दिन ·ो अपनी तरह से अपने
आर्थि· स्थिति ·ो देखते हुए सेलीब्रेट ·रने ·े लिए जगह
·ा चुनाव ·रते हैं और आपस में दो यार भरी बातें ·र
·ुछ खा-पी·र अपने-अपने ारों ·ो लौट जाते हैं. जब·ि
ये धर्म ·े ठे·ेदार भारतीय संस्·ृति ·े नाम पर अपने अंदर
·े फस्ट्रेशन ·ो डंडे एवं अपनी ता·त ·े बल पर नि·ालते
हैं. यदि इन·े स्वयं ·े चरि ा ·ो देखें, तो आप पायेंगे ·ि
ये विभिन्न तरह ·े नशे ·े आदी होते हैं. लड़·े लड़·ियों
·े साथ ·ोई छेड़छाड़ न ·र दें, ·े नाम पर लड़·ियों पर
·ड़ी नजर रखते हैं और समय आने पर इ हीं लड़·ियों से
अपने प्रेम ·ा इजहार ·रने लगते हैं. अगर लड़·ी इ हें
ाास नहीं डालती, तो ये वो ·र जाते है, जिस·ी ·ल्पना
हम और आप नहीं ·र स·ते. ए· अच्छी भली हसती-
खेलती लड़·ी ·ा अपने ार से बाहर नि·लना दूभर ·र
देते हैं. अर्थात ये अपने लिए अलग चरि ा रखते हैं, पर
दूसरे लड़·ों ·े लिए इन·े मन में आ·्रोश होता है ·ि ए·
भली खूबसूरत लड़·ी हाथ से नि·ली जा रही है.
संस्·ृति ·ी रक्षा ·े नाम पर ·ानून ·ो हाथ में ले·र जो
अमानवीय हर·तें 18 से 20 वर्ष ·े बजरंगी युव·ों ने ·ी
है शायद उ हें भी यह पता नहीं ·ी हम या ·रना चाहते
हैं. उ हें खुद नहीं मालूम ·ी हमने ऐसा यों ·िया. शायद
वे ऐसा इसलिए भी ·र गये यों·ि इले ट्रानि· मीडिया ·े
लोग अपने ·ैमरे ·े साथ फ्रे डशिप-डे पर स्पेशल स्टोरी
तलाश रहे थे, तभी इन बजरंगियों ·ी नजर ·ैमरे पर पड़ी
और हाईलाईट होने ·े नाम पर हुड़दंग ·र बैठे. आखिर
हम विरोध ·र रहे हैं, तो यह सब ·ो दिखना भी चाहिये.
तब न इन·ा विवे· ·ाम ·िया ना परि ााम ·ा इ हें यान
रहा. सारी ाटना ·ैमरे में ·ैद होती रही और इन स्थलों में
तैनात पुलिस ·ानून ·ो हाथ में लेने वालों ·ो खदेडने ·े
बजाय ाटना ·ा आनंद लेती रही.
बजरंग दल और धर्म सेना पर प्रतिबंध ·ी मांग ·ो ले·र
विपक्षी दल ·े नेताओं ने दूसरे दिन विधान सभा स ा ·े
दौरान जम ·र हंगामा मचाया, तब जा·र भाजपा सर·ार
·ा यान इस गंभीर और शर्मना· ाटना ·ी ओर गया और
आनन-फानन में ·ार्यवाही ·े आदेश दिये गये. गृह मं ाी
नन·ी राम ·ंवर ·े इस्तीफे त· ·ी मांग होने लगी, तब
·ंवर ·ो यह ·हना पड़ा ·ि 11 पुलिस ·र्मियों ·ो
निलंबित ·िया गया है. उ हें तबादला नीति ·े तहत वैसे भी
इधर से उधर ·िया जाना था. 15 दिनों से इस पर ·ाम चल
रहा था, पर जैसे ही यह ाटना ाटी और विधान सभा में
हंगामा हुआ एस. पी. दीपांशु ·ाबरा ने त ·ाल र्नि ाय लेते
हुए तबादला सूची जारी ·र दी और यारह पुलिस ·र्मियों
·ो निलंबित ·र दिया. उन·ा बयान है ·ि उन ·र्मियों ·ा
प्राथमि·ता ·े आधार पर तबादला ·िया गया जो ·ाफी
समय से ए· ही थाने में जमा थे. पुलिस ने प्रतिबंधा म·
·ार्यवाही सिर्फ इसलिए ·ी ·ि यह मुद्दा गंभीर मोड़ न ले
ले. दरअसल धर्म सेना और बजरंग दल स ाारुढ़ पार्टी ·ा
ए· अभिन्न अंग है, जिस पर ·ार्यवाही ·रना उन·ी
मजबूरी रही. फिर भी उन लोगों ·ी गिर तारी नहीं हो पायी
जि होंने इस बेहूदा ·ार्य ·ो अंजाम दिया. और आप आगे
देखेंगे ·ि जैसे ही यह मामला शांत होगा न तो ·ानून ·ोई
ए शन लिया जायेगा, न इ हें सजा मिलेगी.
इले ट्रॉनि· मिडिया वालों ने अपने-अपने चैनल में इसे
लगातार दिखा ·र या जाहिर ·रना चाहा, यह भी समझ
से परे है. इस विषय पर उ होंने विभिन्न लोगों ·ी प्रति·्रिया
ली और ए· विशेष परिचर्चा ·ी, जिसमें इस ाटना ·ो
शर्मना· जरुर बताया गया, ले·िन इस ·ार्य·्रम ·े दौरान
जिस ाटना·्रम ·ो इ होंने अपने ·ैमरे में ·ैद ·िया था,
उसे लगातार चलाते रहे. इ हें यह भी समझ नहीं आया ·ि
ए· तरफ हम ऐसे ·ृ य ·ा विरोध ·र रहे हैं, तो दूसरी
तरफ ए· ही द्श्ष्य ·ो दर्श·ों ·ो बार-बार दिखा रहे हैं,
जिसमें वे लड़·ियॉ फो·स हो रही थीं, जो इन पा·-साफ
धर्म ·े ठे·ेदारों ·े हाथों बेइ"ात हुई. या इन
बु िदजीवियों ने सोचा, जो उस परिचर्चा में शामिल थे ·ि
इस लीपिंग ·ो न दोहराया जाए? उन लड़·ियों ·ी
मन;स्थिति ·े बारे में इ होंने या ए· बार भी सोचने ·ी
जहमत नहीं उठाई, जो अब मानसि· रुप से ·िस ·दर टूट
गई होंगी. इसे बार बार दिखा ·र इले ट्रॉनि· मिडिया ने
इन लड़·ियों ·े साथ ·िसी रेप से या ·म ·ारगुजारी ·ी
है. इस ाटना ·ी परछाई उ हें ता-उम्र दर्द ·ा अहसास
·राती रहेगी.
दुखद पहलू यह भी रहा ·ि ए· भाई-बहन ·ो भी इन
बजरंगियों ने नहीं छोड़ा, जब·ि वे बार-बार ·ह रहे थे ·ि
हम भाई-बहन हैं. ए· स्थानीय चैनल में धर्मसेना प्रमुख ने
तो यहां त· ·ह दिया ·ि हम पहचान जाते हैं ·ि ·ौन
शादी-शुदा है और ·ौन प्रेमी. शायद वे इन युगल जोड़ी ·ी
हर·तों से अंदाजा लगाते होंगे. पर मैंने ऐसे भी पति-पत्नी
·ो देखा है, जो सार्वजनि· जगहों पर बाहों में बाहें डाल
·र ाूमते हैं. बाइ· में जब बैठते हैं, तो पत्नी अपने हाथ ·ो
या तो पति ·े ·ंधे पर रखती है या जां ा में या फिर पेट ·ो
·स ·र प·ड़ लेती है. मुझे यह सब देख ·र बुरा नहीं
लगता. फिर आप·ो ए· युगल प्रेमी ·े इसी अंदाज में
बैठना या ाूमना यों बुरा लगता है?
दरअसल आप अपने दिलो-दिमाग ·ो जब त· खुला नहीं
रखेंगे तब त· आप·ी सोच ·ा दायरा सं·्र्री ा रहेगा और
आप·ो हर छोटी-बड़ी बातें अश्लील लगने लगेगी. आप
शक्की हो जायेंगे और अपना, अपने परिवार, अपने नाते-
रिश्तेदारों ·ा अच्छा ·रने ·े चक्कर में वह सब ·र जायेंगे,
जो उ हें पीड़ा, ऑसू, दर्द और ाुटन देते रहेंगे. आप·ो ·ोई
बात पसंद नहीं आ रही है, तो उसे व्यक्त ·रने ·ा भी
तरी·ा होता है. ·िसी पर शारीरि· अ याचार ·र·े आप
या बताना चाह रहे हैं. और आप इस स्वतं ा भारत ·े
स्वतं ा नागरि· पर प्रहार ·रने वाले ·ौन होते हैं? या
आप·ो ·ानून अपने हाथों में लेने ·ा अधि·ार मिला हुआ
है?
जब त· ऐसे लोगों पर ·ड़ी ·ार्रवाई नहीं ·ी जायेगी तब
त· हमें अपने ार ·ी बहू-बेटियों ·ो ·ड़े बंधनों में
रखना पड़ जायेगा. इन·े उग्र प्रति·्रिया पर त ·ाल प्रतिबंध
लगाना आवश्य· है अ यथा ये छ ाीसगढ़ जैसे शांत रा य में
न जाने ·ैसे-·ैसे नियम बना ·र हमारा जीना दूभर ·र
देंगे.
शशि परगनिहा

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शिखर छू लेने ·ी तमन्ना
शिखर ·ो छू लेने ·ी तमन्ना हर इंसान रखता है, पर यहां
त· पहुंचने ·ा हौसला अधि·ांश लोगों ·े ·ुछ दूरी तय
·रने ·े बाद पस्त हो जाते हैं. बचे ·ुछ लोग जिन·ा ए·
ही लक्ष्य हो, तो प्रतिस्पर्धा होने लगती है. विभिन्न बाधाओं
·ो तय ·रने और शिखर पर पहुंचने ·े दो ही रास्ते बचते
हैं. ए·- लगन और परि ाम. दूसरा- गलत लोगों ·ा सहारा
ले उन·े ·ंधों ·ा इस्तेमाल ·र बगैर मेहनत ·िये लक्ष्य
हासिल ·र लेना. दोनों अपने-अपने तरी·े से आगे बढ़
जाते हैं, जिसमें पहले व्यक्ति ·े जीवन में शांति और शु·ुन
है तो दूसरे में और-और-और ·ी हसरत. दूसरा व्यक्ति
पहले से यादा लो·प्रियता हासिल ·र लेता है यों·ि वह
अपनी जबान से अपने गूर्गों ·ो ·ाबू में रखता है. यही
लो·प्रिय व्यक्ति जब अपनों जो उस·े गलत ·ामों से हाथ
खींच लेता है, तो अपने शैतानी दिमाग ·ा इस्तेमाल ·र
अपने ही बिछाये जाल में फंस जाता है.
·ुछ ऐसा ही गुजरात ·े पूर्व गृह रा य मं ाी अमित शाह ·े
साथ हो रहा है. सोहराबुद्दीन शेख वही है, जो ·भी शाह ·े
खासम-खास हुआ ·रते थे. पुलिस, सोहराबुद्दीन और शाह
·ी ति·ड़ी ने वैध-अवैध दोनों तरी·े से रा य में शांति
बनाये रखने ·े नाम पर अने· खेल खेले, पर जब
सोहराबुद्दीन ·ो लगने लगा ·ि अपना अलग गैंग बना ·र
भी आर्थि· और सामाजि· दबदबा बनाया जा स·ता है,
तो उसने तुलसी प्रजापति ·े साथ मिल ·र शाह ·ा साथ
छोड़ ·ाम ·रना शुरु ·र दिया. शाह ·ो यह सब पसंद
नहीं आया और उ होंने पुलिस विभाग ·े आला
अधि·ारियों ·ो वह खतरना· ·ाम सौंपा ·ि 5 साल बाद
उ हें यायि· हिरासत में आज रहना पड़ रहा है. उस पर
जो बदनामी हो रही है सो अलग.
बिछाये गये जाल ·े तहत 26 नव बर 2005 ·ो गुजरात
पुलिस ·े आतं·वादी विरोधी दस्ते (एटीएस) और
राजस्थान पुलिस ने फर्जी मुठभेड़ ·ा सहारा ले·र
सोहराबुद्दीन ·ो मौत ·े ााट उतार दिया और उसे चरमपंथी
·रार दे दिया. इतना ही नहीं सोहराबुद्दीन ·ी पत्नी ·ौसर
बी ·ी ह या ·र उस·े शव ·ो निशान न मिले इसलिए
जला दिया. सोहराबुद्दीन ·े साथी तुलसी प्रजापति ·ा भी
वही ह ा हुआ.
इसी फर्जी मुठभेड़ ने जब तुल प·ड़ा तो गुजरात सर·ार
·ो मामले ·ी जांच ·े आदेश देने पड़े और जांच रिपोर्ट में
यह स्पष्टï हो गया ·ि यह फर्जी मुठभेड़ ही है, तो तीन
आईपीएस अधि·ारी डी. जी. वंजारा, राज·ुमार पांडियन
और दिनेश ·ुमार एम. एन. ·ी गिर तारी हुई. फर्जी
मुठभेड़ होना स्पष्टï होते ही सोहराबुद्दीन ·े भाई रुबाबुद्दीन ने
सुप्रीम ·ोर्ट में मामला दायर ·र याय ·ी गुहार लगायी.
जस्टिस तरु ा चटर्जी और आफता आलम ·ी विशेष
खंडपीठ ने तब गुजरात सर·ार ·ो निर्देश दिया ·ि
सोहराबुद्दीन ·े परिवारवालों ·ो गुजरात सर·ार मुआवजा
दे. इस खंडपीठ ने मुआवजे ·ी राशि तय नहीं ·ी. मामला
·ोर्ट में चल ही रहा था ·ि रुबाबुद्दीन ·ी तरफ से उन·े
व·ील एजाज अहमद ने ·ोर्ट ·ो यह आदेश देने अपील
·ी ·ि इस फर्जी मुठभेड़ ·ी जांच सीबीआई से ·रायी
जाए और सुप्रीम ·ोर्ट में सोहराबुद्दीन ·ी पत्नी ·ौसर बी
·ो अदालत में पेश ·िया जाए. सुप्रीम ·ोर्ट में गुजरात
सर·ार ·ी तरफ से उपस्थित व·ील ने स्वी·ार ·िया ·ि
सोहराबुद्दीन ·ी पत्नी ·ौसर बी ·ी ह या हो चु·ी है और
उन·े शव ·ो जला दिया गया है. ऐसे में ·ोर्ट ने जांच ·े
लिए सीबीआई ·ो मामला सौंप दिया.
सीबीआई ·े सुपुर्द मामला आते ही जांच शुरु हो गई. फर्जी
मुठभेड़ होना स्पष्टï हो गया यों·ि सोहराबुद्दीन ·े अलावा
उन·ी पत्नी ·ौसर बी और तुलसी प्रजापति ·ो ए· बस
स्टै ड से अगवा ·िया गया था. पहले सोहराबुद्दीन ·ो मारा
गया पश्चात उन·ी पत्नी ·ौसर बी ·ी ह या ·ी गई और
उस·े ए· साल बाद तुलसी प्रजापति ·ो भी मुठभेड़ में
मार डाला गया. इस·े अलावा साबीआई ·े हाथों एटीएस
और अमित शाह ·े खिलाफ अने· सबूत मिले. इन सबूतों
·े आधार पर अमित शाह ·ो सीबीआई ·े सामने पेश होने
·हा गया. अमित शाह ने प ा·ारों ·े समक्ष अपनी दलील
पेश ·रने ·े बाद धोष ाा ·ी ·ि मैं वहां जाऊंगा, पर एन
वक्त पर वे सीबीआई ·े सामने पेश नहीं होने ·ा फैसला ले
लिए.
अमित शाह ने अपने व·ील मितिश अमिन ·ो सीबीआई
·े सामने पेश ·िया. उन·े व·ील अमीन ने अग्रिम
जमानत ·ी याचि·ा पेश ·ी और सीबीआई से अनुरोध
·िया ·ि अमित ·ो पेश होने ·े लिए समय दे तथा यह
मामला पुराना है इसलिए सीबीआई प्रश्नावली बना ·र दे,
जिसे सीबीआई ने इं·ार ·र दिया. अब इस मामले में दो
प्रमुख दल आमने-सामने आ गया है. भाजपा अपने नेता ·े
बचाव ·े लिए सामने आ गई है और आरोप लगा रही है
·ि ·े द्र ·ी यूपीए सर·ार सीबीआई ·ा दुरुपयोग ·र रही
है. और इसीलिए भाजपा ने प्रधान मं ाी मनमोहन सिंह द्वारा
आयोजित दोपहर भोज ·ा बहिष्·ार ·र दिया. शाह ·े
बचाव ·े लिए सबसे पहले सुषमा स्वराज फिर अरु ा
जेठली और अब अ य भाजपा नेता आगे आ गए हैं.
इस बीच अमित शाह ने 23 जुलाई 2010 शु·्रवार ·ो
अपनी अग्रिम जमानत याचि·ा खारिज होने ·े बाद
शनिवार 24 जुलाई ·ो इस्तीफा दे दिया, जिसे गुजरात ·े
मु य मं ाी नरे द्र मोदी ने स्वी·ार लिया. सीबीआई ने
अमित शाह ·े अलावा ·ई वरिष्ठï पुलिस अधि·ारियों और
2 बैं· अधि·ारियों सहित 15 लोगों ·े खिलाफ अरोप-
प ा दाखिल ·िया है तथा 2 सिपाहियों और ए· सब
इंस्पे टर ·ो इस मामले से अलग ·रते हुए आरोप-प ा से
उन·ा नाम हटा लिया है.
इस्तीफा देने ·े बाद 46 वर्षीय अमित शाह रविवार 24
जुलाई 2010 ·ी सुबह 11.50 मिनट पर नाट·ीय अंदाज में
अहमदाबाद स्थित पार्टी ·ार्यालय में चल रही प्रेस वार्ता में
उपस्थित हो गए और इस·े तुरंत बाद सीबीआई ·े समक्ष
आ मस र्प ा ·र दिया. सीबीआई ने शाह ·ो अतिरिक्त
मु य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ए. वाई. दवे ·े निवास में पेश
·िया जहां से उ हें 14 दिनों ·ी यायि· हिरासत में
(7अगस्त त·) भेजा गया. उधर गुजरात ·े पूर्व पुलिस उप
अधीक्ष· एम. ·े. अमीन जो 2007 से गिर तार हैं, ने फर्जी
मुठभेड़ मामले में सर·ारी गवाह बनने ·ी अर्जी लगा·र
पूर्व गृह रा य मं ाी शाह ·ी मुश्·िलें बढ़ा दीे हैं.
गिर तार शाह और उन·ी पार्टी ·े वरिश्ठ नेता शाह ·े
बचाव में लग गये हैं. शाह स्वयं सभी अरोपों ·ो मनगढ़त,
राजनीति से प्रेरित और ·ांग्रेस ·े ·हने पर तैयार झूठ ·ा
पुलिंदा ·हा है. वे ·हते हैं मैं भगोड़ा नहीं हूं. 22 जुलाई
·ी दोपहर 11 बजे मुझे समन भेज·र 1 बजे पेश होने ·हा
गया. पहले मुझे सोचने ·ा मौ·ा नहीं दिया बाद में मेरा
पक्ष सुने बिना आरोप-प ा पेश ·र दिया. यायपालि·ा पर
मेरा पूरा विश्वास है. मैं सभी आरोपों से मुक्त हो जाऊंगा.
सीबीआई मुझसे जो भी पूछताछ ·रेगी उस·ी
वीडियोग्राफी होनी चाहिए.
अब भाजपा सीबीआई पर अंगुली उठा रही है और ·ह रही
है ·ि सीबीआई ·ी ·मान ·ांग्रेस ·े हाथों में है. इस
बयान से दुखी हो·र प्रधान मं ाी ·ो ·हना पड़ा शाह ·ी
गिर तारी में सर·ार ·ी ·ोई भूमि·ा नहीं है. अब चूं·ि
पार्टी विशेष ·े स ाासीन मं ाी पर सीधे-सीधे आरोप सि द
होने लगा है, तो भाजपाई रा य सभा औेर लो· सभा ·ी
·ार्यवाही पर विध्र डाल·र उन प्रमुख मुद्दों ·ो दर·िनार
·रने ·ी ·ोशिश ·र रहे हैं, जिस पर बहस ·िया जाना
जरुरी है. भाजपा महंगाई ·ो मु य मुद्दा बना·र दोनों सदनों
·ी ·ार्यवाही ·ो बंद ·रवा दी है. वह पा·िस्तान और
·श्मीर मुद्दे ·ो उछालना चाह रही है, ता·ि गुजरात ·े पूर्व
गृह रा य मं ाी अमित शाह मामले पर बहस हो ही न स·े
वहीं ·ांग्रेस इसे सामने लाने ·े प्रयास में हैै.
जो भी हो यदि ·िसी ने अपराध ·िया है और वह साबित
होता है, तो उसे सजा दी जानी चाहिए चाहे वह ·ितने भी
बड़े ओहदे में बैठा यों न हो. याय प्र ााली भारत ·े हर
नागरि· ·े लिए ए· समान है. इसे राजनीति· रुख न
दे·र लाभ लेने ·ी ·ोशिश नहीं ·ी जानी चाहिए. अखिर
शाह भी तो यही ·ह रहे हैं ·ि मैं सभी आरोपों से मुक्त हो
जाऊंगा, तो उ हें अपने दम पर लडऩे दिया जाए. इसे भुनाने
·ी ·ोशिश यों हो रही है. या इसलिए ·ि अमित शाह
और गुजरात ·े मु य मं ाी नरे द्र मोदी ·ी आपस में खूब
पटती है?
शशि परगनिहा
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Wednesday, August 4, 2010

अ 4 ा ए द्बह्य ह्लश ... यादा "रीब भारत

अ 4 ा ए द्बह्य ह्लश ... यादा "रीब भारत
ल्टीडाय म म े <शनल पावर्टी अ स ·् ं ष्टष्ठ (श्चद्ग ए म अ ा ई ) ए ए ए ष्ठ्रश्व न ई म ए ्रश्व्र ड्डठ्ठस्र ्र॥ष्टढ्ढ ्रठ्ठह्व, ्रह्र 'रीबी ए ए स ो म ्रश्व्र ढ्ढश्व ्रहृ . ्रश्वह्र ह्लश इ अ ·् द्ग ोर्ड विश्वविद्यालय · स्र अ ं ए तर्राष्ट्रीय ष्टस्स् ्रश्व्र विभा "ष्ठ ं स युक्त राष्टï्र ए स ं स्ढ्ढ्रश्व द्बह्य शह्वह्लह्यद्बस्रद्ग य ए नडीपी साथ · स्र म ल िए बनाया ्रहृ. अ ·् टूबर 2 0 1 0 म े 'जश शह्वह्लह्यद्बस्रद्ग य ए नडीपी ए द्बह्य सालाना म ानव ष्टस्स् ए ्रश्व्र रिपोर्ट ए द्बह्य 2 0 श्वस्स्' वर्ष 'ा ं ्रश्व ्रह्र' द्बह्य, ढ्ढ ह्र्र बात ्र्रश्व म ष्ठ ख ्र्रश्व ए 'द्बह्य िए अ 4 ा ए द्बह्य ह्लश यादा ...' · स्र) रीबी भारत प्रदेशो 'म े' ए सर्वाधि ्रहृ ौर अ अ ए ो जान ्रश्व्र ए ए ो ई अ ाश्चर्य नही 'होना ाहि ए ष्ट चए उ प्रदेशो' म े 'छत्तीस' ड्डठ्ठस्र · œ म ल शा ्रिहृ. बिहार, झार ख ण् ष्ट, उ ष्ट ीसा ़, उ त्तर प्रदेश, म प्रदेश ङ्घद्गह्य, राजस्थान ए स्स् ड्डष्श्च ं म ं ब "्रश्व सहित छत्तीस 'ड्डठ्ठस्र · म े' ए सर्वाधि" रीबी ्रहृ.
इ न) रा ... ह्रह्र 'म े' ए 42 रोड · 0 1 ख ह्र ्रश्व गग रीब है', ्रह्रष्ट द्बह्य ए ए अ 4 म ा े 'स ं ह्र्र क्चक्रह्र 41 ए रोड · ्रहृ ष्ठष्ट ए न भारत ्र ए ार ष्ठ जश अ ा ं ए ष्ट ़ ्रश्व ष्टढ्ढह्र्र ्रहृ उ ्र · स्र अ नुसार वर्ष 2 0 0 4 म े 'गरीबी ष्ठ ख ा · स्र द्बह्य चे द्ग रहे ह्र' ो 'ए द्बह्य ं स क्चक्रह्र 2 7. प्रतिशत 5 ढ्ढश्व, ्रह्र अ ब ए œ · 3 7. प्रतिशत 2 · स्र ए रीब ्रह्र "ई ्रहृ. ्र ारी अ ा ं ए ए ष्ट ़ ए ष्ठ पूरे द्बस्रड्डड्ड द्बह्य "रीबी ए ा ्रठ्ठह्व ्रह्रष्ट श्चद्ग ए ए म अ ा ई अ · स्र · स्र ) नुसार भारत रा ... ह्रह्र 'म े '्रह्वद्ग ह्र्र अ ा ए ष्ट ़ ्रश्व ्रहृ. स ं युक्त राष्टï्र ्र4ष्द्ब व्यक्ति 1.25 डॉलर अ ्रह्रष्ठ प्रतिदिन र्थात 55 रु · स्र ख र्च ए ो म अ ाधार ानता ्रठ्ठह्व, ढ्ढ भारत म े 'ए ार उ ्र ह्र' शह्म् '· ो गरीबी ष्ठ ख ्रश्व द्बह्य चे म ानती ्रहृ, ष्ट्र ए ो अ ावश्य ए ्रश्र ए ढ्ढह्यह्यह्वह्य 'ए द्बह्य रत · स्र ष्टह्व ए ए ए स्स्क्त ए ा भोजन नही' िम ल ्र्रश्व रहा ्रह्र.
क्कद्ग ए म ा ई अ ष्ठ इ ई म े म ्रश्व्र 'शिक्षा, स्वास्थ, द्बठ्ठ ्रष्टढ्ढ ौर उ पलब्ध सेवा अ ्रश्वष्ठ अ' ए ो म ल िए शा िक्चक्रह्र ्रहृ यो' ि·् ए अ ्रश्वह्र · स्र अ ाधार ्र "रीबी ए ो म प ं ापना ह्रस्स् नही ं ्रहृ. भारत ्र ार द्वारा नियुक्त ए ्रष्ट ं म स्वय ह्वह्य श्वस्ष्ठक्क ार ए ए ए िरती ्रहृ हर तीसरा भारतीय दरि ्रता द म े 'ए जीवन व्यतीत रहा ्रहृ. अ ब यही 'विरोधाभास ढ्ढष्ठष्ट ख यष्ठ प्रधान म िए ं अ · स्र 9 श्वश्वश्व ार्थि ए ए सलाह ार परिषद · स्र अ पूर्व ह्यश4 सुरेश ते'दुल ए · स्र नेतृव वाले विशेष ज्ञ् स म ा ्रश्व ए ा ए ए द्बस्रड्डड्ड हना ्रहृ िम े 'गए राबी द्बह्य तादाद म े' 1 0 ए प्रतिशत द्बह्य स्स्श्वष्ट ्रश्व ्रहृ ई ए अ ौर भारत ड्डठ्ठस्र · द्बह्य ्रह्व्र ं ल ा ए क्चक्रह्र 3 7 प्रतिशत हिस्सा "रीब ्रहृ. रिपोर्ट · स्र अ 41 नुसार.) प्रतिशत 'ङ्घड्डद्ग द्बह्य म म ण् ा अ ाबादी ्र4ष्द्ब ाह 44 7 ञ्जद्धद्ग ्रह्रष्ठ म े' अ ख र्च चपना घर लाता ्रहृ ष्ठष्ट ए 9 न शहरी क्षे ्रश्वह्र 'म े' स्क्रह्र ह्र "" ङ्घड्डद्ग म ण् ्रश्वह्र द्बह्य 'ह्लश ष्टस्ढ्ढष्ट बेहतर म े' है'. स्स्ष्ठ 5 7 9 ्रह्रष्ठ रु म े 'चघर लाते है'. इ स लिहाज ह्लश शहरी क्षे 9 ्रश्वह्र 'म े' 25. 7 प्रतिशत ाबादी अ 'रीबी ष्ठ ख ा े च द्बह्य द्घशह्म् रहती ्रहृ.
्र4शस्र व्यक्ति ए ए ा म ष्ट्रश्व सारा ङ्घड्डद्ग ए भोजन द्बह्य व्यवस्था म े 'गुजर जाता ्रठ्ठह्व. वह जितना œ ए म ढ्ढ्रश्व्र ्रठ्ठह्व उ ्र ए ा ए ए शष्ट ़ ्रश्व हिस्सा ख ाने ्र ख र्च ए रता ्रहृ ए ष्ठड्डस्र म े 'वह शिक्षा अ ौर स्वास् थ् य ्र रु पया ख र्च नही 'ए पाता. उ ्र ्र ष्टढ्ढ दूनी रात जश चौ गम ह ं श्वश्व ा ई œ · रही ्रठ्ठह्व, ढ्ढ ्र उ · स्र ्र्रश्व ष्ठ म ए ए ए ्रश्व द्बह्य रोटी ए ा ्रश्व ्रश्वष्ट · रना ए œ ए ल म श्वड्डि ्रह्र जाता ्रहृ. ढ्ढ वह सारी परेशानियो 'अ ए ौर घर-परिवार द्बह्य ड्डश्चश्चह्म्श3 ेदारी ए ो म न ए ए ार सहज-सुलभ शराब पीने ए ो म े' रु ्रह्रष्ठ ख र्च ए ढ्ढस्रद्बड्ड ्रहृ. जदूर म व र्ग ा ए ए ए ब छोटा" ्रश्व्रश्व नशे œ ए ा अ ह्रस्ढ्ढ होता ्रठ्ठह्व, ढ्ढ · श्व म ्र हिला नशे ए ं œ ए ए ो िन िए द्ग द्ग रु प म े 'इ ए स्ढ्ढष्ठ म ्रश्व रती है'. ्रहृ्रष्ठ ए द्बह्य त ं 'द्बह्य म े' स्स्ष्ठ ्रस्ढ्ढ्र नशा ्रहृ्रष्ठ ह्रश्वष्ट ़ श्व, ं क्चक्रह्र · श्व गा ं ्र्रश्व," ुडा ख ू, '्रश्व ए ा, जर्दा ए ो अ ्रह्वद्ग ष्टढ्ढ चर्या म े 'म ल शा िलेती है' ए अ स · स्र इ ौर घात परि ण् ्रश्व्रश्व ए म अ ं ह्लश जान रहती है'. · स्र इ स तरह नशे ए अ ादी द्बह्य जाने ्रह्र ्र ्र ह्र्र ए ए प "ा ए झट देती है' िइ ए स · स्र ख ख म œ सेवन ह्लश ्रह्र जाती ्रहृ. सिर ढ्ढढ्ढ, ढ्ढढ्ढ हाथ-पैर ह्लश राहत िम ह्रढ्ढश्व ्रठ्ठह्व, ढ्ढ युवा व र्ग ए स्स् ं ब" ्रश्वष्ठ शराब नशे · स्र म े 'चूर रहते है'.
दुनिया · स्र ्र्रश्व ष्ठ म इ स स म य अ य ं त गरीबी ्रह्र्रष्ठग स ं म भीर स्शड्डद्ग ्रहृ, ष्ट्र्र ्र ोर द्बह्य अ ए ए ए ा ार ध्यान नही '· स्र बराबर ्रहृ. ्र ार योजना ए ए ं अ वश्य बनाती ्रठ्ठह्व, ्र सही ड्डठ्ठस्र · ं 'ह्लश व्याप ए चप4 ार नही' होने · स्र चढ्ढष्ठ ्र ए ए ार द्बह्य विभिन्न योजना अ ो 'ए द्बह्य जान ारी ए इ न "रीबो 'त ए नही' ्र्रश्व पाती ं चअ ए ौर ्र ार ह्लश प्रा प्त इ स म द ए ए ा ढ्ढश्वरु द्बह्य राशि ्रह्रह्र 'अ ए ह्वह्य अ ारी ौर · र्म चए ारी ह्वह्वद्बस्र है'. '· स्र त वर्ष दुनिया ्र्रश्व ष्ठ · श्व म ल िए ढ्ढश्व' भीर ं स ए ं म स्शड्डद्ग है', ्र सर्वे राया ए 'क्चक्रह्र ढ्ढ्रश्व, ष्ट्र्र म े' 23 देशो विश्व · स्र ' शा िए ो म ल ए ए ्र4शस्र द्बस्रड्डड्ड ह्लश ए·-ए· हजार ह्र "शह्म् 'ए ो इ स म ष्ठ' शा िल म ए ए सर्वे रिपोर्ट तैयार द्बह्य" ढ्ढŸव: इ ष्ट्र्र म े '7 1 प्रतिशत ह्र' शह्म् 'ह्वस्र अ य ं त गए ो रीबी ्रह्र्रष्ठ द्बह्य प4 म ख न म स्शड्डद्ग बताया ढ्ढ दूसरे बर ्र प्रदूश ण् ा ण् ा अ ौर पर्यावर रहा. लैटिन अ म ए श्व द्बह्य देशो '· स्र ह्र' शह्म् '· स्र ए ष्टह्व जलवायु परिवर्तन ढ्ढ ङ्घड्डद्ग · स्र िम ह्र' शह्म् 'ए ़ द्बह्य शष्ट द्बह्य ्रह्र्रष्ठ िचœ म ं ढ्ढ्रश्व ारियो' ए ा श्वहृ लाव ्रहृ. िए ं अ ढ्ढश्व भारत ौर पा िए ए ढ्ढ स्तान ष्ठड्डस्र द्बस्रड्डड्ड है' जहा · स्र ं ह्र "य अ ं तग œ रीबी ह्लश "भीर ं स म स्शड्डद्ग ्रश्वढ्ढ अ ं ए ए ो म वाद ानते है', ्रह्रष्ट ए अ <य देशो '· स्र ए ष्टह्व ह्र्र ्र्रश्व स्स्ष्ठ ं च' ख्न 4 म ्र ्रठ्ठह्व, ढ्ढ छठे' ख्न 4 म ्र जलवायु परिवर्तन. इ स सर्वे ह्लश साफ जाहिर ्रहृ ि ए ए भारत ्र ार अ ा म अ ौर ्रश्व 'ष्ट ए œ यही ानता ्रहृ म िए अ ए ं ्रश्वढ्ढ वाद · स्र म ्र्रश्व ष्ठ' रीबी ए ुद्दा न म ा गण् य ए ए म ्रहृ ्रह्रष्ट श्चद्ग अ ा ई म ्रश्व्र बनाने वाले विशेष ्रश्वह्र ज्ञ् 'ए द्बह्य रिपोर्ट म े' छत्तीस 'ड्डठ्ठस्र · रा ... य म े'ग रीबो 'ए द्बह्य क्चक्रह्र बहुतायत ं स म े '्रठ्ठह्व.
छत्तीस 'ड्डठ्ठस्र · रा ... य ्र ष्ट्र्रष्ठ ह्रह्वस्र · श्व ्रह्वद्ग वर्ष ्रश्व ए है' ौर ह्र्र रा ... य अ ल गष्टस्स् ातार ए ए ्रश्व्र द्बह्य ोर अ अ' ्रसर ्रह्र रहा ्रठ्ठह्व · स्र ष्टह्व ए क्वरीबी हटा अ ह्र ए ए म म य द्बह्य ुद्दा शह्व श् ए ढ्ढ्रश्व ्रहृ. ्र रा ... य ए ार, ह्रष्टढ्ढ ्रष्ठ अ ए ो श्रेष्ठï रा ... य ए ण् श्वश्वश्व द्बह्य श्रे म े 'लाना चाहता ्रठ्ठह्व, ढ्ढ "रीबी दूर ो ए ए ए रने द्बह्य दिशा म े' िए ए िन-न योजना ्रश्वष्ठ अ 'ए ्रश्व ो गू ए ' रीबो 'ए द्बह्य अ ा म ढ्ढश्व म े' ा ए इ जाफ रना ्रह्र" ा, च्र ्रह्र ्रश्व ्रह्र 'अ ा उ ौर ्रष्ठ सही हाथो' म े 'ए सौ'प ए ए ार्य रना ्रह्र' ा. "रीबी · ष्ठ œ ़ द्बस्र '्राफ ए ो ख म ए रने ्र ए ार ए ो ख ्रद्गद्य पदार्थों, स्वास् थ् य अ ौर शिक्षा ्र अ तिरिक्त राशि ख र्च ए रना ्रह्र' ा. डदशा इ स म े 'ए पहल रने · स्र ए ष्टह्व रक्षा ह्र्र्र म े' ए ए उ टौती ्र राशि ए ो गरीबो '· स्र ए ड्डह्व ल्या ण् ा म े' लग ाने ए म ा ं द्बह्य क्वउ ठ रही ्रहृ.
"रीबी ए ए द्बह्य सर्वाधि ार म म अ ्रश्वष्ठ हिला 'अ ब ौर" ्रश्वह्र' ्र ्रष्ट · ह्रढ्ढश्व ्रहृ. म हिला ए ं पहले अ ्रष्ठ परिवार · स्र ्रश्वरु ्रश '· स्र भोजन व द्ग ख-सुविधा ्र ध्यान ख ढ्ढश्व है' श्वष्ट दूसरे ख्न 4 म ्र अ ्रष्ठ श्चद्ग 9 ा ए ो ख द्बद्ग' ड्डठ्ठ ' पश्चात बेटियो 'ए म ा ख्न 4 अ उ ढ्ढ्रश्व्र ्रहृ ्र बाद स्स्स् · स्र ं य · स्र ष्टह्व ए च्रह्र है' ढ्ढश्व. इ ए ह्लश ्रह्वि श्व ्रहृ िइ ए <्रह्वद्ग 'म े' ड्डह्ल उ म अ ्रश्वष्ठ हिला 'ए अ ए ो चुना ्र्रश्व ौर उ <ए हे' प्रशिक्षित हिला स्वास्थ म र्ए ियो म '· स्र रु प म े' ए ढ्ढष्ठ नियुक्ति ा ए म ए ·् यो' िष्टह्र्र ्र्रश्व ्रश्व्र œ ए अ 'ङ्घड्डद्ग द्बह्य म ण् ा 9 क्षे ्रश्वह्र' म े 'म ए हिला ं ए अ पार परि ौर ्र्रश्व ्रश्वष्ट्र म ए ब ं ढ्ढह्र '· स्र ए ण् ा ार ्रश्वरु ष ·् डा टरो' ए ए ं द्बह्य सेवा नही 'लेती. ष्ठड्डस्र ए म े 'शह्म् प्रशिक्षित हिला म इ ए ं न ए म ढ्ढढ्ढ द्बह्य "ार साबित ्रह्र स ए ढ्ढश्व है', ्रह्र इ <थ् य हे' स्वास्, ्रश्व ा ई ्रहृ्रष्ठ ष्टस्स््र ्र ्र्रश्व" ञ्जद्धद्ग ए ए ष्ठ. इ श्चद्ग तरह शिक्षा œ ़ ो ए ावा देने · स्र ए इ न म ष्टह्व हिला अ ो '· द्बह्य सेवा ए ं स ए ी ्र्रश्व है' ढ्ढश्व. शिक्षा, स्वास् ौर थ् य अ अ ए ढ्ढ उ पयो िद्बह्य "ढ्ढ्रश्व शह्म् ्रश ए त ए ए इ न अ ोॢि" रीबो 'ए ो नही' ्र्रश्व झाया स म ए गा ढ्ढ त ए ग रीब ौर अ 'ए रीब ्रह्र शह्म् -रे' म ह्य म' े इ न परिस्थितियो क्चक्रह्र 'ए म ा ्र्रश्व ्रश्व नही' ए ्र पाने अ ा म अ ोर द्बह्य हया ए अ '्रसर ्रह्र '"े ·् यो' िए ' रीबी, ्रह्वद्ग शिक्षा अ िए द्ग व्यक्ति ो अ ए ए सहाय होने द्बह्य ष्टस्ढ्ढष्ट म े 'अ ा म हया ए ए रने प्रेरित रता ्रठ्ठह्व, ढ्ढ ष् · श्चद्ग ए ए ो अ परा0 शशि ्र "निध रने जबूर म ए रता ्रहृ.
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