खेतों में उग आई हरियाली
धरती पर हल चलते ही मिट्टी महकने लगती है,
बीज बोते ही उम्मीदों की बारिश होने लगती है,
घरती मुस्कुराने लगती है, गरजने लगते हैं बादल,
खेतों में उगती हैं हरे रंग की चिट्ठियां,
कठोर हाथों के स्पर्श से चिट्ठियां,
खुल कर बन जाती हैं बालियां,
पुरा परिवार खेतों की खुबसूरती निहारता है,
तो पकने लगती हैं बालियां.
शशि परगनिहा
8 मई 2012, मंगलवार
धरती पर हल चलते ही मिट्टी महकने लगती है,
बीज बोते ही उम्मीदों की बारिश होने लगती है,
घरती मुस्कुराने लगती है, गरजने लगते हैं बादल,
खेतों में उगती हैं हरे रंग की चिट्ठियां,
कठोर हाथों के स्पर्श से चिट्ठियां,
खुल कर बन जाती हैं बालियां,
पुरा परिवार खेतों की खुबसूरती निहारता है,
तो पकने लगती हैं बालियां.
शशि परगनिहा
8 मई 2012, मंगलवार
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