परिधान या खिड़की में टंगे परदे
बड़े और नामी डिजायनरों के तैयार परिधानों को देख कर ऐसा लगता है, मानों हम किसी आलीशान घर की खिड़की-दरवाजे में टंगे परदे को देख रहे हों. इन परिधानों में बाहें और गले (सामने और पूरी पीठ) उघड़ी हुई होती है, पर नीचे की लंबाई इतनी होती है कि लाल कारपेट में चलते समय झाडू लगाने की जरूरत नहीं पड़ती.
अधिकांश परिधान हिन्दुस्तानी परिवार की लड़कियों के पहनने लायक नहीं होते क्योंकि वे या तो इतनी छोटी होती है कि सिमटते-सिमटते कार में बैठना पड़ता है और जहां गये हैं वहां भी पूरा ध्यान शरीर के उघड़ने से बचाने में लगा रहता है या इतनी बड़ी होती है कि हाई हिल के सैंडल पहनने के बाद भी कामवाली बाई, जो काम करने के दौरान अपनी साड़ी कमर में खोंच लेती है, की तरह एक हाथ में उसे उठा कर चलना पड़ता है.
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