Thursday, November 17, 2011

उधार की रोशनी

आमजन से नगर पालिका एवं निगम जल, मल टैक्स के साथ मकान, प्लाट या दुकानों से मनमाना किराया प्रति वर्ष वसूल रही है, लेकिन जन सुविधा देने के मामले में फिसड्डूी साबित हो रही है. जगह-जगह गंदगी, नालियों में बजबजाते कचरे तक साफ कराने में असफल रायपुर नगर निगम प्रति साल टैक्स का भार हम पर बढ़ा कर उसे वसूलने में कतई कोताही नहीं बरत रही है. नवम्बर के महिने में भी अनेक मोहल्लों में पानी की दिक्कत बनी हुई है और उसकी आपूर्ति करने में नगर निगम टैंकरों के लिए डीजल की कमी बता कर पानी देने में आना-कानी कर रही है. ऐसे में हम या तो लाचार हैं या हमारा आक्रोश भड़कने लगता है. जब इनसे बात की जाती है, तो सिर्फ आश्वासन मिलता है, देख रहे हैं. शीध्र ही व्यवस्था ठीक कर ली जाएगी. यदि हम टैक्स देने में विलम्ब करते हैं, तो तत्काल निगम अमला सक्रिय हो, हमें परेशान करने में देरी नहीं लगाता, पर इसी निगम ने विद्युत मंडल को करोड़ों का रूपया विद्युत बिल का नहीं दिया है. ऊपर ढोल अंदर पोल-रायपुर नगर निगम प्रति दिन नगर निगम मुख्यालय और इसके अधिन आने वाले क्षेत्रों में अनावश्यक विद्युत की खपत करता है. कभी देखें दिन में भी सड़कों की लाईटें जलती रहती है, तो जिस कमरे में कोई ना हो वहां भी एसी, पंखा और लाईटें जगमगाती रहती है. इन पर यदि कंट्रोल किया जाए और लापरवाही ना बरती जाए तो विद्युत बचायी जा सकती है. लेकिन ऐसा ना हो रहा है ना होगा, इसी के चलते रायपु नगर निगम को विद्युत मंडल को एक करोड़ रूपया बिजली बिल की राशि देना है. मजे की बात यह है कि इस मामले में विद्युत मंडल भी बील वसुलने की हिम्मत नहीं दिखा पा रहा है.

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