Wednesday, November 9, 2011

कैसे मनाऊं जन्मदिन?

कैसे मनाऊं जन्मदिन? 59 वर्षीय छत्तीसगढ़ प्रदेश् कांग्रेस अध्यक्ष नन्द कुमार पटेल का 8 नवम्बर 2011 को जन्मदिन था. वे प्रदेश की जनता विशेष कर गरीब किसानों की पीड़ा अ‍ैर प्रदेश की भाजपा सरकार के भ्रष्टाचार से इतने व्यथित हुए कि अपना जन्मदिन नहीं मनाने के लिए भोजराज कृतार्थ नामक एक कवि से 44 लाईनों की कवितामय गीत का सृजन करवा अपनी गंभीर मुद्रा वाली क्लोअप फोटो के साथ स्थानीय अखबारों में विज्ञापन प्रकाशित कराया जिस पर 17 लाख 65 हजार 500 रूपये खर्च कर दिए फिर भी यह कहते हैं- कैसे मनाऊं जन्मदिन? इस खर्चिलें जन्मदिन पर पलटवार करते हुए भाजपा (अभी छत्तीसगढ़ में इनका शासन है) ने मुझे नहीं शिकायत उनसे... श्ीर्षक से 35 लाइन की कवितानुमा गीत कवि रामू पटेल से लिखा कर अखबारों में छपा दी. तू डाल-डाल मैं पात-पात. इस लड़ाई का फायदा मिल गया अखबार मालिकों को. जन सेवा में लगे प्रदेश सरकार के पास वक्त की कमी के कारण कांग्रेसियों के वार पर प्रतिवार करने भाजपा प्रदेश महामंत्री और प्रवक्ता शिवरतन शर्मा को यह काम सौंप दिया गया है. अब शिव रतन शर्मा नंद कुमार पटेल पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं और उन्होंने ही यह खुलासा किया है कि पटेल ने 17 लाख रूपये विज्ञापन छपाने में खर्च कर दिये. नंद कुमार पटेल, जब छत्तीसगढ़ राज्य बना, तब कांग्रेस के शासन काल में ग्रह मंत्री बने. ये वही पटेल हैं, जिन्होंने आरंग में सिंचाई के लिए पानी मांग रहे किसानों पर जमकर लाठियां बरसवायी थी. ये वही पटेल हैं, जो सत्ता सुख भोगने के समय कोसमसरा में अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग की महिलाओं पर दमनात्मक कार्यवाही की थी. ये वही पटेल हैं, जो आदिवासियों को रायपुर मेडिकल कालेज के सभागृह में दौड़-दौड़ कर पिटवाये. ये वही पटेल हैं, जिनके गृह मंत्री के पद पर रहने के दौरान डीएसपी भास्कर दीवान समेत 27 पुलिस कर्मी की नक्सली वारदात के समय शहीद हुए. ये वही नंद कुमार पटेल हैं, जिनके शासन काल के दौरान दिन दहाड़े एनसीपी के नेता रामवतार जग्गी को गोलियों से भून दिया गया. जब हम किसी पर कीचड़ उछालते हैं तो उसके छींटे हम पर भी पड़ते हैं. इसलिए यह जरूरी है कि पहले अपने गिरेबॉं में झांक लें कि हम कितने पानी में हैं. राजनीति एक ऐसी जंग है, जहां एक बात के अनेक अर्थ निकलते और परिभाषित होते हैं. अगर आप वार करेंगे तो पलटवार के लिए आपको तैयार रहना होगा. पटेलजी को मेरी सलाह है कि उन्हें चुपचाप अपना जन्मदिन बना लेना था आखिर कहीं ना कहीं उनके नाम का केक कटा ही. उनके नाम पर गरीबों, असहाय और जरूरतमंदों को मिठाई, फल, कापी-पेन और कंबल बांटे गए. यदि वे सार्वजनिक रूप से अपना जन्मदिन मनाते तो यही सब तो होना था इससे ज्यादा वे करते भी क्या? आखिर लालकृष्ण आडवाणी ने भी तो अपनी यात्रा रद्द कर दिल्ली में अपना जन्मदिन मनाया की नहीं? ऐसे में प्रश्न उठता है कि उन्होंने अपने जन्मदिन में मिठाई खायी नहीं होगी? क्या मोमबत्ती जला केक नहीं काटा होगा? यदि उन्होंने मोमबत्ती नहींजलाई और केक नहीं काटा तो यह अच्छा ही किया क्योंकि भारतीय संस्कृति में केक काटने की परंपरा है ही नहीं.

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