Monday, April 23, 2012

चमकदार रिफिल में पैक पान मसालों की बिक्री रूकेगी?

चमकदार रिफिल में पैक पान मसालों की बिक्री रूकेगी?
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत में हर 5 में से दो लोगों की मौत खैनी, गुटखा और पान मसाला के सेवन से होती है. वह यह आशंका भी जाहिर करता है कि इसी रफ्तार से इनका सेवन और लोगों की आदतों में इजाफा होता रहा तो दुनिया भर में अगले 20 साल में तंबाकू युक्त इन प्रोडक्ट से 80 लाख लोग मौत के काल में समा जायेंगे. यहां यह भी बताना जरूरी है कि पुरूषों की तरह महिलाएं भी बीडी, सिगरेट, गुटखा, खैनी और पान मसाला खाने की आदी हो रही हैं और इनकी संख्या लगातार बढ़ रही है.
क्या तंबाकू का सेवन आज की देन है? मैंने तो जब से होश संभाला है, लगभग हर पुरुष के मुंह में तंबाकू मल कर दबाते देखा है. पहले पान मसाला का चलन नहीं होने से सिगरेट, बीडी और खैनी खाने वालों को देखा. ग्रामीण इलाके में महिलाओं को बीडी पीने और खैनी का सेवन करते पाया. कुछ लोगों को तंबाकूयुक्त मंजन करने की लत भी देखी है. ट्रेन में आप सफर करें तो रिजर्वेशन डिब्बे में बाथरूम के पास बैठे लोग, जिनमें महिलाएं भी होती हैं, इसे मुंह में दबाये उकडू बैठ पच-पच थूंकते हुए रात आसानी से काट लेते हैं.
मध्य प्रदेश में गुटखा और पान मसाला पर पाबंदी लगायी गई है. इससे पहले भी मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में इस तरह के प्रयोग हो चुके हैं, लेकिन मैंने यह भी पाया कि इसके पीछे जो रूपये बनाने का खेल होता है, वह ज्यादा खतरनाक है. पाबंदी लगाये जाने के बाद हर चौक-चौराहे में बने पान ठेलों में ये सजे हुए नहीं दिखेंगे पर दो गुना पैसा आप पान ठेले वाले को दें, तो वह अखबार में लपेट कर आपको आपकी पसंद का ब्राण्ड उपलब्ध करा देता है. मतलब इस नशे का सेवन करने वालों की तलब को यह को यह रोकता नहीं और बढ़ा देता है. कहते हैं जो दुर्लभ हो उसे पाने की इच्छा बलवती हो जाती है. इसका लाभ इस व्यवसाय से जुड़े व्यावसायियों को डबल मिल जाता है. है ना सौ प्रतिशत लाभ का धंधा.
एक बार मेरा गुजरात जाना हुआ. रात में हम गुजरात की सीमा को छोड़ जैसे ही महाराष्ट्र राज्य में प्रवेश किये तो वहां लगभग 12 बजे महाराष्ट्र सीमा में लाइन से शराब, कबाब की गुमटियां, होटल, पान ठेले दिखे. लगा नहीं रात काफी हो गई है. अच्छी खासी चहल-पहल थी. मैंने अपने ड्राइवर से कहा रुक कर चाय पी लो, नहीं तो नींद आ जाएगी. उसने तत्काल कहा-मैडम यहां रूकना ठीक नहीं है. कुछ दूर आगे जाने पर मैं चाय पी लूंगा. आप निश्चिंत रहे. वैसे मुझे नींद नहीं आ रही है. उसने कार की स्पीड बढ़ा दी. एक गांव को पार करने के बाद ड्राइवर ने खुलासा किया कि- मैडम वहां शराबियों का जमघट था. अधिकांश लोग नशे में रहते हैं और अपनी जरूरत के मुताबिक शराब स्टोर कर ले जाते हैं.
क्या यहां शराब सस्ती मिलती है?
नहीं मैडमजी, गुजरात गांधीजी का राज्य है. यहां शराब पर पाबंदी है. पर पीने वालों को कभी कोई रोक पाया है. वे अपने-अपने साधनों से महाराष्ट्र बार्डर पर आते हैं और शराब खरीद लुक-छिप कर ले जाते हैं.
वहां मैंने पुलिस को वर्दी पहने देखा है. वे ऐसा होने क्यों देंगे?
मैडम शराब ठेकेदार हर हफ्ते उनका हिस्सा पहुंचा देते हैं फिर वे क्यों धर-पकड़ करेंगे?
जब सब कुछ सामान्य चल रहा है, तो पुलिस का यहां क्या काम?
है ना, यहां भी पुलिस दो पैसा बनाने के चक्कर में रहती है. कुछ लोग शराब दुकान नहीं आना चाहते, जिन्हें घर पहुंच सेवा देने छोटे व्यवसायी गाड़ी में भर कर शराब ले जाते हैं और मुंह मांगी कीमत में बेचते हैं. इनसे भी पुलिस पैसे वसूल करती है. खोमचे वालों से मुफ्त में वे जो बेच रहे होते हैं उसे खाते हैं और ये बताते हैं कि गश्त में हैं कहीं कोई अपराध नहीं हो रहा है सभी जगह अमन शांति है.
खोमचे और होटलें इतनी रात तक क्यों खुली है. 12 बजे के बाद कौन कुछ खाना चाहेगा?
आप भोले हो मैडम, 12 बजे के बाद ही इस जगह रौनक बढ़ती है, जो 2 घंटे तक पूरे शबाब में रहती है. इस दो घंटे में जितनी भी दुकानें हैं, उनका माल खप जाता है. शराब पीने के बाद किसे होश रहता है. 5 रूपये का फल्ली दाना 10 रूपये में खरीदा जा रहा है. एक रूपये का पानी पाऊच चिल्हर नहीं है बोल 5 रूपये में थमाया जाता है.
लगता है तुम यहां आ चुके हो, क्यों?
थोड़ा झिझकते हुए ड्राइवर ने कहा- एक बार आया था मैडम. एक शराब व्यापारी का ड्राइवर छुट्टी में था, तो उसने मुझे बुलाया था, तब मैंने जो देखा वही बता रहा हूं.
मैंने इस विषय पर वहीं विराम लगा दिया और मेरा ड्राइवर से संवाद समाप्त हो गया.
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने खाद्य सुरक्षा मानक निर्धारण अधिनियम के तहत तंबाकू जनिक उत्पादों पर रोक लगाई है. भारतीय खाद्य एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) की ओर से पिछले साल जारी अधिसूचना और सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार खाद्य पदार्थों में तंबाकू का इस्तेमाल गलत है. ऐसी स्थिति में मध्य प्रदेश के स्थानीय कोर्ट ने इस व्यवसाय से जुड़े व्यापारियों द्वारा कोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कह दिया है कि इन उत्पादों से पाबंदी नहीं हटायी जाएगी.
इससे उत्साहित हो केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को चिट्ठी लिख तंबाकू वाले गुटखा और पान मसाले की बिक्री पर रोक लगाने कहा है. इससे प्रश्न उठता है कि जब इसका उत्पादन शुरू हुआ, तब स्वास्थ्य   मंत्रालय क्या कर रहा था? क्यों इन्हें गुटखा और पान मसाला का उत्पादन करने लाइसेंस दिया गया? क्यों स्वास्थ्य मंत्रालय उस वक्त सचेत नहीं हुआ, जब उसे पता था कि लाइसेंस मिलते ही इस व्यवसाय से जुड़े व्यापारी इसका व्यापक प्रचार करेंगे और जिन्हें इन सबसे परहेज था, वो भी इसके सेवन से खुद को रोक नहीं पायेंगे?
मैंने तो उन छोटे-छोटे स्कूली बच्चों को पान मसाला खाते और उसके पुड़िया को हवा में उछालते देखा है, जिन्हें उनके मां-बाप मद्यान्तर में नाश्ता करने के नाम पर प्रतिदिन उनकी हथेली में रूपया पकड़ाते हैं और वह बच्चा ना तो घर से टिफिन लेकर निकलता है, ना कोई ढ़ग के खाद्य पदार्थ खाता है बल्कि पान मसाला खरीद शान के साथ पुड़िया खोल सीधे मुंह के हवाले कर पुड़िया इधर-उधर फेंक अपनी भूख शांत कर लेता है.
क्या छोटे और क्या बड़े, क्या नेता क्या अधिकारी, हर वर्ग हर कौम का व्यक्ति (महिला-पुरूष और बच्चे) आज पान मसाला खाने का आदी हो चुका है. पान खाने की प्रवृत्ति थम सी गई है. हर आफिस, सड़क, गली, चौक-चौराहों में इनके पीक मार्डन आर्ट की तरह सजे देखे जा सकते हैं. अधिकारी और नेता आफिस में डस्टबीन को पीकदान के रूप में उपयोग कर रहे हैं. जब हर तीसरा-चौथा व्यक्ति इसका सेवन किए बगैर रह नहीं पाता तो क्या केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के इस फरमान (चिट्ठी) को राज्य सरकार गंभीरता से लेगी? या यह चिट्ठी किसी फाइल में धूल खाती पड़ी रहेगी?
शशि परगनिहा
23 अप्रैल 2012, सोमवार

 

No comments:

Post a Comment