Saturday, April 28, 2012

हेमा, रेखा, जया और सुषमा... सबकी पसंद.


हेमा, रेखा, जया और सुषमा... सबकी पसंद...
मैदान से संसद तक पहुंचने वाले दुनिया के महान बल्लेबाज सचिन तेन्दूलकर जितने अच्छे खिलाड़ी हैं, उससे बेहतर एक इंसान भी हैं. जब उन्हें राज्य सभा में केन्द्र सरकार और यूपीए अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी की पहल पर यह सम्मान देना तय हुआ, तो प्रतिक्रिया स्वरूप नेताओं ने इस निर्णय का स्वागत किया वहीं इस मनोनयन से खेल प्रेमियों में उत्साह का संचार हो गया. सभी वर्ग विशेष में खुशियां मनायी जाने लगी. लेकिन इसी के साथ एक और महान कलाकार भी राज्यसभा में गई, जिसके विषय में किसी ने कोई टिप्पणी नहीं की, वे हैं फिल्म अभिनेत्री रेखा.

राष्ट्रीय जीवन की प्रमुख हस्ती की कसौटी पर अब तक 118 महान हस्तियां राज्यसभा में पहुंच चुके हैं. राजनीति की चकाचौंध से अनेक खिलाड़ी खुद को अलग नहीं कर पाये ऐसे वे खिलाड़ी हैं, जो चुनाव मैदान में अपना भाग्य आजमा कर संसद में पहुंच चुके हैं वे हैं-क्रिेकेट से संयास लेने के बाद कांग्रेस से अजहरूद्दीन मुरादाबाद से सांसद चुने गये. क्रिकेटर कीर्ति आजाद 1983 में विश्व कप जीतने के बाद बिहार के दरभंगा से सांसद बने. बल्लेबाज नवजोत सिंह सिद्दू अमृतसर से चुनाव लड़े और भाजपा सांसद बने. चेतन चौहान 1991 और 1998 में अमरोहा से चुनाव लड़े और भाजपा सांसद रहे. एथलीट जे. सिकंदर पश्चिम बंगाल में सीपीआई (एस.) से सांसद हैं. तीरंदाज जसपाल राणा 2009 में भाजपा से चुनाव लड़े,हार का सामना करने के बाद कांग्रेस में शामिल हुए. वहीं दो ऐसे क्रिकेटर हैं, जिन्होंने राजनीति में भाग्य आजमाया, पर हारने के बाद अपने क्षेत्र में सक्रियता दिखायी वे हैं-विनोद कांबली और मनोज प्रभाकर.
मनोनीत सदस्य के रूप में लता मंगेश्कर या ऐसी तमाम चर्चित शख्सियतों को यही सम्मान दिया जा चुका है, तब इसका साजनीतिज्ञों और उनके चाहने वालों ने तहे दिल से स्वागत किया, पर आज जब सचिन को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया, तो अचानक सरगर्मी बढ़ गई. उनके मनोनयन और किस पार्टी में वे शामिल होंगे, को लेकर चर्चा है. यदि यूपीए सरकार और सानिया गांधी का यह सराहनीय निर्णय है, तो इसे दलगत राजनीति से उपर उठकर क्यों नहीं देखा जा रहा है? क्या यूपीए सरकार ने सचिन का सम्मान कर एक और विवाद खड़ा कर दिया है? क्यों सचिन के मनोनयन पर प्रश्न खड़े किये जा रहे हैं? क्यों कहा जा रहा है कि कांग्रेस की यह एक चाल है? क्या इससे पहले अन्य पार्टी की सरकार ने इस तरह की हस्तियों को राज्यसभा में नहीं लाया है, तब क्यों इस तरह के बखेड़े खड़े नहीं हुए? बात तो यहां तक हो रही है कि मास्टर ब्लास्टर को भारत रत्न देने से बचने के लिए यह सम्मान दिया गया है. अब सचिन की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है और उनके कांग्रेस में न चले जाने को लेकर राजनेता भिन्न-भिन्न सु­ााव और बयान दे रहे हैं.
रेखा के लिए कहीं कोई बात नहीं हो रही है, तो क्यों ना एक बात कह दें-हेमा, रेखा, जया और सुषमा.. सबकी पसंद... यह एक डिटर्जेट कंपनी का विज्ञापन जिंगल है, जो रेखा के राज्यसभा में मनोनयन के बाद पूर्ण होता है.
शशि परगनिहा
28 अप्रैल 2012, शनिवार

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