Tuesday, April 24, 2012

आप वही पढ़ेंगे और देखेंगे जो हम चाहते हैं.

आप वही पढ़ेंगे और देखेंगे जो हम चाहते हैं.
हम करें तो गुनाह, आप करें तो अत्मविश्वासी. कुछ ऐसा ही इन दिनों पश्चिम बंगाल में हो रहा है. एक व्यक्ति ने वहां की मुख्यमंत्री का कार्टून क्या बनाया उस पर आफत आ गई. अब मिदनापुर मेडिकल कालेज के एसोसिएट प्रोफेसर विक्रम साहा ने पुलिस में शिकायत की है कि प्रोलाय मित्रा और चिनमय राय ने मुख्यमंत्री का अपमानजनक कार्टंन प्रसारित किया है. इस कार्टून में मुख्यमंत्री का सिर गायब है और शीर्षक टांक दिया है-हमारी मुख्यमंत्री अपना दिमाग खो चुकी है. शीर्षक के साथ मित्रा और राय ने अपने संदेश में यह लिख कर आशंका जतायी है कि- हम जानते हैं कि हमें गिरफ्तार किया जा सकता है, लेकिन हम अपने विचार प्रकट करने में सफल हुए हैं.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री अपने विचार, अपनी चुगलकी नीति के चलते हर वक्त सुर्खियों में बनी रहती हैं. वे प्रधानमंत्री की गद्दी पर नजरें गड़ाए हुए है, तो अपने प्रदेश की जनता को वह तस्वीर दिखाना चाहती हैं, जो वह तय करती हैं. उन्होंने कुछ समय पहले लोगों से अपील की थी कि वे ना तो अखबार पढ़ें और ना ही टीवी पर प्रसारित समाचारों को देखें. ये समाचार भ्रामक होते हैं. अब अपने प्रदेश की जनता के लिए अपना समाचार चैनल और अखबार शुरू करने जा रही हैं. वे इसमें सरकार के सभी विभागों के कामकाज की खबरों को देंगी. उनके अखबार का नाम दैनिक पश्चिम बंगा और चैनल का नाम पश्चिम बंगा है.
बसुमति नाम से पश्चिम बंगाल सरकार कभी अखबार निकाला करती थी, जो अर्से से बंद है. इसी बंद अखबार का नाम परिवर्तित कर दैनिक पश्चिम बंगा अखबार निकाला जाएगा, जो हर शासकीय अर्ध्दशासकीय कार्यालयों और घरों-घर पढ़ा जाएगा. वहीं रूप कला केन्द्र को टीवी चैनल पश्चिम बंगा के संचालन का भार सौंप दिया गया है.
जब राज्य और केन्द्र सरकार ने प्रत्येक विभाग की वेबसाइड बना कर उसमें विभाग की जानकारी देती है फिर इस अखबार और टीवी चैनल की क्या आवश्यकता? आवश्यकता है क्योंकि अधिकांश विभाग की वेबसाइड प्रत्येक दिन की कार्ययोजना, सफलता आदि की जानकारी डालता ही नहीं. कई विभागों के वेबसाइड तो वर्षो से अपडेट नहीं हुए हैं. जहां भाजपा की सरकार है वहां कांग्रेस की सरकार के मंत्रियों की जानकारी है. फिर कितने घरों में नेट की सुविधा है, जो वे अपने प्रदेश की जानकारी लेने उस साइड में जाते हैं? ये जरूर है घर में खाने के लाले हो, पर टीवी जरूर मिल जाएगा.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री दूरद्ष्टि रखती हैं. उन्हें पता है हर घर में टीवी पर उस घर का कोई एक व्यक्ति समाचार देखने एक बार उस चैनल तक जाता है फिर पश्चिम बंगाल में भाषा का मोह कुछ ज्यादा ही देखने को मिलता है. जब अपने बांग्ला भाषा में समाचार देखने, सुनने और पढ़ने मिलेगा, तो लोग इस ओर आकर्षित होंगे ही.
हम वही लोगों को पढ़ायेंगे, दिखायेंगे, जो पश्चिम बंगाल की गाथा (मुख्यमंत्री बार-बार लगातार दिखती रहेंगी) कहता हो. कोई निगेटिव बातें नहीं. सबकी आखों में पट्टी बांध कर घोड़े की तरह एक सीध में चलते रहने की सीख दी जाएगी. जय हो पश्चिम बंगाल की, जय हो मुख्यमंत्री की और जय हो उस प्रदेशवासियों की जिनकी जुबा कट चुकी है,  जिनके अंदर को जोश सुप्त हो चुका है.
शशि परगनिहा
24 अप्रैल 2012, मंगलवार
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