Thursday, April 26, 2012

बोफोर्स से बेगुगाहों के ह्दय हुए छलनी


बोफोर्स से बेगुगाहों के ह्दय हुए छलनी
बोफोर्स का उपयोग देश की सुरक्षा में कितना कारगर रहा यह तो रक्षा विभाग बता सकता है, पर 1986 में खरीदे गये 410 बोफोर्स तोप से अनेक ऐसे संवेदनशील लोगों के ह्दय छलनी हुए कि आज 25 साल बाद उसकी कसक बाकि है. कई बेगुनाह लोगों को सजा मिली और बच गये वे जो दोषी थे या हैं.

स्वीडन के पूर्व पुलिस स्टेन लिंडस्ट्रोम वे व्यक्ति हैं, जिन्होंने इस सौदे के एक साल बाद दलाली लिए जाने का खुलासा होने पर जांच की और इस घूस काण्ड के 350 से ज्यादा दस्तावेज पत्रकारों को सौंप दिए. दलाली का खुलासा होने के ठीक दस साल बाद स्विस बैंक ने लगभग 500 दस्तावेज जारी कर दिए, जिसमें सीबीआई ने क्वात्रोचि, हथियारों के सौदागर विन चड्ढा, रक्षा सचिव एस. के. भट्टाचार्य के खिलाफ मामला दायर कर दिया. इस सौदे में राजीव गांधी का नाम भी उछला, जिसे आज लिंडस्ट्रोम ने सिरे से नकारते हुए स्पष्ट कर दिया कि उन्होंने घूस नहीं ली, पर समस्त जानकारी होने के बावजूद उन्होंने इस पर कोई कार्यवाही नहीं की.
इटली के व्यापारी आत्रोवियो क्वात्रोचि वो व्यक्ति हैं, जिन पर स्पष्ट रूप से दलाली देने के सबूत हैं, पर उनसे दोस्ती निभाने के फेर में आज की तारीख तक इस मामले का ठीक-ठीक खुलासा नहीं हो पा रहा है. क्वात्रोचि को अर्जेटीना में 6 फरवरी 2007 में गिरफ्तार किया गया किंतु वहां की सरकार ने सीबीआई को इंटलपोल से दो दिन बाद गिरफ्तारी की सूचना दी. मजेदार बात यह रही कि सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट को आधी-अधुरी जानकारी दी और यह नहीं बताया कि क्वात्रोचि गिरफ्तार किये जा चुके हैं. 20 दिनों की गिरफ्तारी बाद जब क्वात्रोचि रिहा हुए तो सीबीआई वहां उनकी मदद करने में जुट गई, लेकिन अलडोरोडो कोर्ट ने भारत की याचिका को खारिज कर दिया.
अक्टूबर 2008 के बाद बोफोर्स के गोले दलाली लेन-देन के धमाके नहीं कर पाये क्योंकि इस मामले को लगभग लोगों के दिमाग से ओ­ाल कर दिया गया, लेकिन एक बार फिर जंग लगे बोफोर्स तोप को मांजा जा रहा है. सेवानिवृत स्टेन लिंडस्ट्रोम ने अपनी बात रख कर किसी को राहत दी हो या ना दी हो पर सुपर स्टार अमिताभ बच्चन को जरूर खुशी दी है किंतु उन्हें इस बात का भी मलाल है कि जो किया नहीं उसका भार 25 वर्षों तक क्यों ढोना पड़ा? वे इस दाग को धोने विदेश जाकर मुकदमा लड़े और जीते भी, पर मलाल यह रहा कि मां-बाबूजी इस सदमे के साथ इस दुनिया से विदा हो गये.
ऐसा क्या है कि तीन मामले सीधे-सीधे इटली से जुड़े हैं और सरकार को परेशानी में डाल रहे हैं? बोफोर्स के इस ने खुलासे के साथ भारतीय मछुआरों के हत्यारे इतावली पोतरक्षकों के मामले में फजीहत के बाद नया किस्सा सामने आया है कि वीआईपी हेलिकाप्टर सौदे में अंगुली उठ रही है. विपक्षी दलों को इन तीन मुद्दों ने राजनीति करने के लिए अवसर दे दिया है. वे सवाल दाग रहे हैं कि इस सरकार की परेशानियों में अक्सर कोई न कोई इतावली कनेक्शन क्यों नजर आता है? सरकार का अब यह फर्ज बनता है कि इन तीनों मामले में जो भी सच्चाई हो उसका खुलासा करे.
शशि परगनिहा
26 अप्रैल 2012, गुरुवार
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