Monday, April 30, 2012

दूरी

दूरी
अपनों को अंजान बनते मैंने कई बार देखा है. जिनके साथ सुख-दुख की बातें सांझा की थी. साथ खाना-पीना, सोना-उठना-जागना सभी कुछ किया था वही कभी किसी मोड़ में मिल जाए तो रास्ते बदल लेते हैं. मेरे साथ ऐसा अभी-अभी हुआ. मेरी एक मित्र हैं. वे आत्मनिर्भर हैं. काफी व्यस्त भी रहती हैं, पर जब भी उन्हें अपने रुटिन से कोफ्त होती है, तो रात में 11 बजे भी मेरे घर आ जाती हैं. उनकी एक सहेली उनके व्यवसाय में साथ जुड़ी हुई हैं. जब भी वे मेरे घर आती हैं दोनों का साथ ही आगमन होता है. एक दिन भरी दोपहरी में मैं प्रेस के लिए निकली. मेरी सहेली की सहेली (मेरी भी दोस्त हुई) अपनी स्कूटर में और मैं अपनी. वे मेरे घर से तीन किलो मीटर आगे रहती हैं. वे मेरे पीछे से आगे निकल गई. जब मैंने उसे देखा तो मैंने हलो करने अपनी गाड़ी तेज कर ली. उन्होंने स्कूटर के ग्लास से मुझे ऐसा करते देख लिया और तेजी से गली के दूसरे मोड पर आगे बढ़ गई. मैंने सोचा हो सकता है, मुझे देखा ही ना हो और मैं बेवजह उसके प्रति ऐसी भावना रख रही हूं. 

जब रास्ते जुदा हो गये तो मैं अपनी धुन में प्रेस के उसी रास्ते से निकली जहां से मेरा रोज का आना-जाना है. यहां भी उसे कहां जाना है, यह बात मेरी जानकारी में थी. मैं जैसे ही अपने प्रेस वाली गली में पहुंची तो फिर दोनों का आमना-सामना हो गया. अब मेरा दिल उसे रोकने को हुआ. मैंने अपनी गाड़ी प्रेस के गेट के सामने खड़ी कर उसे हाथ हिला कर बाय कर दिया, पर यह क्या अब भी वे ना तो मेरी तरफ देखी और ना ही मुस्कुराने की जहमत उठाई. बुरा तो लगा पर यह सोच कर शांत हो गई कि शायद मेरा ऐसा करना उसे नापसंद आया हो.
ठीक ऐसा ही एक बार और हुआ. तब मेरी सहेली की बहनें और भाभी एक ही दुकान में खरीदारी करने के बाद भी मुझसे बात करने से कतराते रहे. वे पहले से उस दुकान में थे. मैं अचानक सामान खरीदने वहां पहुची. एक छोटी सी दुकान में कौन आया और क्या खरीद रहा है, अंजाने में भी पता चल जाता है. मेरे उस दुकान में कदम रखते ही वे जो कुछ भी खरीद रहे थे, उसे उसी हाल में छोड़ ऐसे लापता हुई कि दुकानदार को भी कहना पड़ गया- कुछ लोग खरीदने नहीं हमारा समय खोटा करने आ जाते हैं.
ऐसा क्यों होता है कि आज जिसे अपने प्रिय दोस्त की श्रेणी में रखते हैं. जिनके लिए उनके आड़े वक्त में मदद के लिए तत्पर रहते है वही समय के साथ अपसे दूरी बनाने लगते हैं?
शशि परगनिहा
30 अप्रैल 2012, सोमवार
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