Monday, February 18, 2013

भोजन की बर्बादी

भोजन की बर्बादी
एक तरफ हम भोजन की बर्बादी कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ हमारे नेता बीपीएल वर्ग को रिझाने 2 रूपये किलो में चावल दे रही है. ये दो विरोधाभाषी स्थिति है. याने हम महंगाई की मार से कमर टूटने की बात कर मोर्चा खोल देते हैं, पर हमारे ही घरों में प्रतिदिन इतना भोजन बच जाता है कि उसे हम किसी भूखे इंसान को दे दें, तो उसका पेट भर सकता है लेकिन ऐसा करना हमारी फितरत में नहीं है. हम उसे कचरे के डिब्बे में डाल खाने योग्य छोड़ नहीं रहे हैं.
मेहमान भगवान
भारतीय घरों में यह माना जाता है कि सदस्यों की संख्या को ध्यान में न रख मेहमानों के आने पर उन्हें भोजन खिलाये बिना न जाने देना की परम्परा का निर्वाह करना है इसलिए भोजन कुछ अधिक बनाया जाये. वैसे ही प्रत्येक सदस्य की रूचि का ख्याल कर गृहणी अनेक वैरायटी के खाद्य बनाती है ताकि डाइनिंग टेबल से कोई सदस्य भूखा न उठे. इससे हो यह रहा है कि थोड़ा-थोड़ा ही सही लगभग सभी घरों में आधा किलो से अधिक खाना बच रहा है.
जरूरत नहीं फिर भी थाली में व्यंजन
विभिन्न पार्टियों और किसी समारोह (खास शादी-भोज) में इतने तरह के व्यंजन परोसे जा रहे हैं कि वहां उपस्थित मेहमान अपनी रूचि और पेट की जरूरत को नकारते हुए एक बार में ही पूरी प्लेट को भर लेता है और अरूचिकर खाद्य को डस्टबीन के हवाले कर देता है. हम भारतियों ने बफे को अपना तो लिया है किंतु उसके तौर-तरीके को अपना नहीं पा रहे हैं. ऐसा पार्टियों में मैंने देखा है कि कोल्ट ड्रिंक एक गिलास पीने के बाद भी लोग उस स्टाल में ऐसे झुमे रहते हैं, जैसे पानी पीना इनकी आदत में शुमार नहीं है. वैसे ही आइस्क्रीम के स्टाल में होता है. तरह-तरह की मिठाइयों के लिए भीड उमड़ पड़ती है और इतनी मश्क्कतों के बाद जब इन्हें देखा जाए, तो इनके कोल्डड्रिंक के गिलास पास ही लुड़के पड़े होते हैं. आइस्क्रीम प्लेट में पिघल कर गिरता रहता है और मिठाइयां सीधे डस्टबीन के ऊपर अलग-अलग रंगों में आंख-मिचौली खेलते दिखते हैं.
भूख से अघिक का आर्डर
होटलों में भी हम अपनी जरूरत से ज्यादा भोजन का आर्डर कर देते हैं और जब इन्हें खाने की बारी आती है, तो टेबल में उपस्थित सदस्य एक दूसरे से आंखे चुरा अब बस कह अपनी प्लेट सरका देते हैं. ये भोजन भी कुड़े में जायेगा. वैसे मैंने कुछ होटल मालिकों को इन बचे जुठे भोजन को भिखारियों को रात 1 बजे के बाद बांटते देखा है, पर उस वक्त जिन्हें भूख होती है वे किसी गली के नुक्कड़ में सिकुड़े करवट बदलते रात काटते दिख जायेंगे.
मुफ्त खाद्यान
छत्तीसगढ़ सरकार चुनावी हथियार के रूप में बीपीएल वर्ग को रिझाने चावल, गेहूं और चना वितरण की तैयारी में है. ये योजना तो सही है, पर इसका दूष्परिणाम यह निकल रहा है कि इस वर्ग के लोग अलाल हो गये हैं. वे काम करने से जी चुरा रहे हैं. वे इस मुफ्त के राशन को उसी राशन दुकानदार को बेच कर जगह-जगह खुल गई शराब दुकान के हवाले कर मदमस्त झुम रहे हैं और उनकी बीवी-बच्चे दो जून की रोटी के लिए भीड़ में हाथ फैला भीख मांग रहे हैं.
महंगाई, बेरोजगारी और गरीबी
भोजन बर्बाद करने में सिर्फ भारतीय ही नहीं हांगकांग, सिंगापुर, ताइवान, दक्षिण कोरिया के वासी भी ऐसा करते हैं. इन देशों में भोजन की बर्बादी रोकने रिसाइकलिंग और टैक्स लगाने की प्रक्रिया चल रही है, पर हमारे देश में ऐसा नहीं होगा क्योंकि देश की जनता को कोढ़ी बनाकर राजनीति करने की जो वर्षों पुरानी नीति है उसे कोई भी नेता तोड़ना नहीं चाहेगा. इससे एक तरफ महंगाई बढ़ेगी तो दूसरी तरफ बेरोजगारी और गरीबी.
शशि परगनिहा
18 फरवरी 2013, सोमवार

No comments:

Post a Comment