Thursday, February 21, 2013

प्रमाण-पत्र और घुमावदार रास्ता

प्रमाण-पत्र और घुमावदार रास्ता
नागरिक सुविधाओं के साथ राजधानी रायपुर के कलेक्टोरेट में बेहतर गुणवत्तायुक्त काम-काज एवं परफैर्मेंस के लिए आईएसओ प्रमाण-पत्र मिला है, जिसे महत्वपूर्ण माना जा रहा है लेकिन वस्तुस्थिति क्या है इसे मैं और मेरी तरह इस दफ्तर का लंबे समय से आना-जाना कर निराश हो रहे हैं, वे बेहतर बता सकते हैं.
मेरे दादा-परदादा के समय की हमारे पास दो-नाली बंदूक है, जो समयानुसार मेरे दादा, फिर मेरे पिताजी और अब मेरे बड़े भाई के नाम पर है. मेरे भइया अब इसे अपने पुत्र के नाम ट्रॉसफर करना चाह रहे हैं. सारे डाक्यूमेंट के साथ आज से 10 माह पूर्व मैंने आवेदन किया हुआ है. जब भी मेरा कलेक्ट्रेट जाना होता है, कागजों की कमी बता कर या पुलिस वेरिफिकेशन के नाम पर महिनों एक ही टेबल में फाइल धुल खाती पड़ी रहती है. मेरा भतीजा कई बार अपने आफिस से छुट्टी लेकर इस दफ्तर से उस दफ्तर चक्कर काटता रहता है, पर होना-जाना कुछ नहीं है.
आपको बता दूं कि वह बंदूक किसी काम की नहीं है. बरसों उसका चिड़िया मारने तक में काम पर नहीं लागा गया है. एक संदूक में वह घर के कबाड़ खाने में कहीं गुम सा है पर नियम तो नियम है. हम जैसे सामान्य व्यक्ति नियमों से विपरित जा नहीं सकते इसलिए जद्दोजहद कर रहे हैं, जबकि शहर में ऐसे अनेक बंदूकें होगी, जो बिना लायसेंस की न जाने कितनों की जान ले चुकी होंगी. इस कार्य को करा लेने की मेरी जिद ने मुझे भी कहीं हतोत्साहित किया हैं. मैं यही सोचती हूं कि यार एक बच्चा भी 9 माह के बाद इस दुनिया में प्रवेश कर जाता है फिर ऐसी क्या बात है कि इस बंदूक के वारिश को उसका सार्टिफिकेट नहीं मिल रहा है.
शशि परगनिहा
21 फरवरी 2013, गुरूवार
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