Thursday, February 21, 2013

बदबू हम झेलें और चुम्मी ...

बदबू हम झेलें और चुम्मी ...
जानवर पालने की आदत से मुझे न जाने क्यों जरूरत से ज्यादा परेशानी होती है. खास विभिन्न नस्ल के कुत्ते. इन्हें पालने वाले जब-तब उसे अपनी गोदी में उठा लेते हैं उसे चुमते और उसके बालों को यूं सहलाते हैं जैसे गुलाब की पंखुड़ी हो और ऐसे इतरा कर बतियाते हैं जैसे घर के लोगों से बात करने में इन्हें परेशानी है. इतने प्यार से अपने बच्चे से ज्यादा पुचकारते हैं कि यूं लगता है मानों इनकी दुनिया यहीं तक सिमट कर रह गयी है. अपने साथ कार में बिठा कर ले जाना आम हो गया है. सुबह शाम इसी के बहाने चहल-कदमी कर लेते हैं, पर यह क्या मेरे घर के सामने रोज दोनों वक्त बिना नागा किये हगने-मुतने उसके गले में बंधे पट्टे की चेन को ढीली कर खड़े हो जाते हैं. वह कुत्ता मेरे घर के दरवाजे से कुछ कदम दूर न जाने क्या सूंघता है और शौच कर अपने मालिक की ओर देखता है मानो कह रहा हो चलो इनके घर में गंद फैला चुके आब अपने साफ-सुघरे घर की ओर कदम बढ़ायें. साला कुत्ता और उसका मालिक तेरी तो..........
शशि परगनिहा
21 फरवरी 2013 गुरूवार
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1 comment:

  1. कुत्ते के मालिक को टोकिये.

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